गोमुख के अद्धभुत रहस्य , फूल ( अस्थियों ) का गंगा...!
गोमुख के अद्धभुत रहस्य...!
गोमुख का मार्ग बहुत विकट है।
सड़क तो क्या कोई पगडंडी भी नहीं है।
ऊबड़ खाबड़ पड़े हुए पत्थरों पर चलना पड़ता है, वैसे अब कुछ दूर तक मार्ग बन गया है।
चीड्वासा से हो कर गोमुख पहुंचा जाता है।
dreame L10s Ultra Gen 2 Robot Aspirapolvere e Lavapavimenti con MopExtend RoboSwing, Aspirazione 10.000 Pa, Stazione Base Automatica, 32 Livelli di Acqua,Batteria da 240 Min
बर्फ के गलने से गंगा का जल उत्पन्न होता है, यहाँ जल का वेग अति तीव्र होता है।
जिस ग्लेशियर से गंगा जी निकलीं हैं वह प्रतिवर्ष कम होता जा रहा है।
गंगा जी के उद्गम स्थान पर बर्फ का ग्लेशियर लगभग १०० फुट ऊंचा और आधा मील चौड़ा था।
Two Moustaches Elephant Face Wall & Door Brass Decorative Bell Pair, Elephant Hangings for Decoration
इसकी लम्बाई का अनुमान नहीं लगाया जा सकता क्योंकि यहाँ बड़े बड़े पर्वत खड़े हैं जो एक तरफ से बद्रीनाथ से जुड़े हैं तो एक तरफ से केदारनाथ से।
यहाँ से बद्रीनाथ 12 मील के लगभग है जो केदारनाथ की अपेक्षा ज्यादा निकट है।
यहाँ से केदारनाथ का मार्ग 15 मील है परन्तु इस मार्ग को खोजना अत्यंत कठिन है, परन्तु कोई गुप्त मार्ग यहाँ केदारनाथ के लिए अवश्य है।
DREAME X50 Ultra Complete Robot Vacuum Cleaner, Obstacle Detection with AI and 360° Navigation, Overcome the Obstacle of 6 cm, Suction Up to 20000 Pa, Double Anti-Tangle Brush
यहाँ से अदृश्य नगरी सिद्धाश्रम स्तवन तीन -चार मील पर ही स्थित है परन्तु साधारण जनमानस को दिखाई नहीं दे सकता।
यहाँ जब वृक्ष नाममात्र के दिखलाई देने लगे तो समझ लें कि सिद्धाश्रम निकट ही है।
नंदवन के निकट जिसके उत्तर में गंगा ग्लेशियर है तो दक्षिणी भाग में शिवलिंग पर्वत, इसकी ऊंचार 21 हजार फीट है, इसके नीचे एक नदी है जो केदारनाथ से आती है।
Lotus Herbals WhiteGlow Vitamin C Radiance Cream | SPF 20 | For Dark Spots & Dull Skin | Anti- Pollution | 50g
सिद्धाश्रम की ऊंचाई लगभग 13 हजार फीट तथा गोमुख की ऊंचाई 12 हजार 9 सौ फीट है।
नंदवन से होकर जाने पर मार्ग में चौखम्बा पर्वत मिलता है।
नंदवन से हो कर जाने पर गोमुख और सिद्धाश्रम क्षेत्र सामने ही दिखते हैं।
यहाँ का मार्ग अत्यंत दुर्गम और पिसलन भरा है चारों तरफ बर्फ ही बर्फ दिखलाई पड़ती है।
Xiaomi Robot Vacuum X20+, Robot Vacuum Cleaner, All-in-one Smart Station, 6,000 Pa Suction, 3D Laser Navigation, Floor Washing and Cleaning with Double Rotary Cloth, App Control
गोमुख का अर्थ :
भोजपत्र के जंगल से होते हुए गोमुख मिलता है, गोमुख के बारे में किवदंतियां प्रसिद्ध हैं कि गंगा की हिमधारा के ऊपर जो पर्वत है इस सबको संयुक्त रूप से मिलाकर गाय के मुख के समान जो आकृति बनी है, इसे ही गोमुख कहते है।
कोई कहता है कि जिस स्थान से गंगा जी निकली है वो स्थान गोमुख की भाँति बना हुआ है।
परन्तु विचार करें कि वेद में पृथ्वी को गो भी कहा गया है।
Alan Jones Clothing Men's Cotton Slim Fit Polo T-Shirt
निघुंट में पृथ्वी के 22 पर्यायवाची दिए गए हैं, इसमें गो शब्द भी आता है।
इस लिए गो नाम पृथ्वी का है, और पृथ्वी का मुख फाड़ कर गंगा जी का उद्गम हुआ है।
गंगा के ऊपर का भाग आधा मील तक हिम से आच्छादित है।
SIRIL Women's Printed Georgette Saree with Blouse Combo Pack Of 2
इसे हिम धारा भी कह सकते हैं.परन्तु गंगा का वास्तविक उद्भव स्थान अज्ञात है।
जहाँ कही भी गंगा जी का उद्गम हुआ होगा वह स्थान अदृश्य है, प्रत्यक्ष नहीं।
गंगा ग्लेशियर के एक तरफ केदारनाथ दूसरी तरफ बद्रीनाथ है, इतना बड़ा ग्लेशियर पर कहीं भी किसी भी नदी के ऊपर नहीं है।
बद्रीनाथ की ओर से अलकनंदा और ऋषिगंगा नदी निकलती हैं।
ऋषिगंगा नदी की एक धारा कुछ दूर जा कर अदृश्य हो जाती है, कहा जाता है कि ये नदी सिद्धाश्रम होते हुए कैलाश क्षेत्र की तरफ निकल जाती है।
गंगोत्री में केदार - गंगा और रूद्र - गंगा का संगम है।
PURVAJA Women's Jacquard Semi-Stitched Lehenga choli
पकोड़ी गंगा भी एक मील बाद गंगा से मिलती है।
यहाँ से आधे मील की दूरी पर लक्ष्मी वन है जिसे गंगा जी का बागीचा भी कहते हैं।
गंगरोत्री मंदिर के पास भगीरथ शिला है यहाँ पर महाराज भगीरथ ने तपस्या की थी।
गौरी कुंड का दृश्य अत्यंत दर्शनीय है।
यहाँ से बहुत ऊंचाई से गंगा जी कुंड में गिरती है।
यहाँ भगवान शंकर का वरण करने के लिए पार्वती जी ने घोर तपस्या की थी।
यह स्थान अत्यंत शांत, रमणीय और आध्यात्मिक है।
SIRIL Women's Georgette Printed Saree With Unstitched Blouse Piece Combo Pack Of 2
गोमुख जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार अपनी जगह पीछे की ओर जा रहा है।
वो अब तक 18 किलोमीटर पीछे जा चुका है।
गंगा गौ मुख रूपी ग्लेशियर से निकलती है।
इस स्थान पर इन्हें भगीरथी भी कहा जाता है।
यहां से निकलकर गंगा जब अलकनंदा से मिलती हैं तो वह गंगा कहलाती है।
उत्तराखंड के उत्तर काशी जिले में हिमालय के शिखरों से निकलने वाली गंगा की उद्गम स्थल गोमुख से गंगोत्री की दूरी लगभग 18 किलोमीटर है।
गंगोत्री स्थित गौड़ी कुण्ड को देखने से लगता है कि शिव जी ने निश्चित ही अपनी विशाल जटाओं में गंगा को बांध लिया है।
Mehrang Women's Pure Kanjivaram Silk Saree Banarasi Silk Wedding Sarees for Women with Blouse Piece
गौड़ी कुण्ड के इस दिव्य दृश्य को देख कर दर्शक आनंद विभोर हो जाता है।
गौमुख को देखने से ऐसा लगता है जैसे देवाधिदेव महादेव ने अपनी स्वर्णिम जटा को गोल में घुमाकर इस गौड़ी कुण्ड में एक लट से गंगा को इस कुण्ड में निचोड़ दिया है।
यहाँ से पहाड़ों के सीना को चीरती हुई आगे की ओर बढ़ती हैं और यहाँ इसे भागीरथी के नाम से पुकारा जाता है।
वैसे देवप्रयाग में सात नदियों की धारा मिलकर गंगा बनती है।
इन सब श्रेष्ठ जीवन दायनी देव नदियों के नाम क्रमश: भागीरथी, जाह्नवी, भीलगंगा, मंदाकिनी, ऋषि गंगा, सरस्वती और अलकनंदा है।
ये सभी देव नदियां देव प्रयाग में आकर मिलती हैं।
AKHILAM Women's Multicolor Georgette Embroidered Saree With Blouse Piece (KESARI5701_KR_Parent)
गोमुख पर लगातार रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लेशियर का एक टुकड़ा टूटने के कारण गोमुख बंद हो गया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा भी नहीं है कि गोमुख के बंद हो जाने से गंगा में पानी का प्रवाह बंद हो गया हो।
गोमुख का क्षेत्रफल 28 किलोमीटर में फैला हुआ है।
ये समुद्रतल से 3,415 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
इस में गंगोत्री के अलावा नन्दनवन, सतरंगी और बामक जैसे कई छोटे - छोटे ग्लेशियर स्थित हैं।
अब गंगा की मुख्य धारा नन्दन वन वाले ग्लेशियर से निकल रही है।
गोमुख का बंद होना सबको चकित कर रहा है और गंगोत्री पर शोध करने वाले वैज्ञानिक इसकी पड़ताल करने में जुटे हैं।
AKHILAM Women's Paper Silk Embroidered Saree With Unstitched Blouse (KESARI11901_KR_Parent)
वैज्ञानिकों ने पाया है कि गोमुख से निकलने वाली नदी की धारा की दिशा बदल रही है।
गोमुख एक ग्लेशियर है और पहले इससे सीधे - सीधे भागीरथी निकलती थीं लेकिन अब इसके बाएं तरफ से निकल रही हैं।
गोमुख में एक झील बन गयी है जिसके कारण ये परिवर्तन आया है।
इस झील के कारण गंगा लगातार बदली हुई दिशा में बह रही हैं और इसका अंतिम परिणाम गोमुख के नष्ट होने के रूप में हो सकता है।
ECOVACS DEEBOT X9 PRO OMNI Robot Vacuum Cleaner, 16600 Pa, Blast Technology, Instant Self Cleaning, OZMO Roller, Triple Lift System, ZeroTangle 3.0, Hot Water Mop Wash, Black
फूल ( अस्थियों ) का गंगा...!
फूल ( अस्थियों ) का गंगा आदि पवित्र नदियों में विसर्जन क्यों ?
मृतक की अस्थियों ( हड्डियों ) को धार्मिक दृष्टिकोण से 'फूल' कहते हैं।
इस में अगाध श्रद्धा और आदर प्रकट करने का भाव निहित होता है।
जहां संतान फल है, वहीं पूर्वजों की अस्थियां 'फूल' कहलाती हैं।
Georgette Bandhani Impreso Listo Para Usar Un Minuto Pre Plisado Sari Con Blusa Sin Coser Pieza-7281, Varios colores, talla única
इन्हें गंगा जैसी पवित्र नदी में विसर्जन करने के दो कारण बताए गए हैं।
पहला कूर्मपुराण के मतानुसार...!
यावदस्वीनि गंगायां तिष्ठन्ति पुरुषस्य तु ।
तावद् वर्ष सहस्राणि स्वर्गलोके महीयते ॥ 31 ॥
तीर्थानां परमं तीर्थ नदीनां परमा नदी।
मोक्षदा सर्वभूतानां महापातकीनामपि ॥ 32 ॥
PowerFortunes Pulsera Rudraksh con tapa de plata, Natural Seed
सर्वत्र सुलभा गंगा त्रिषु स्थानेषु दुर्लभा ।
गंगाद्वारे प्रयागे च गंगासागरसंगमे ॥ 33॥
सर्वेषामेव भूतानां पापोपहतचेतसाम् ।
गतिमन्वेषमाणानां नास्ति गंगासमा गतिः ॥ 34 ॥
-कूर्मपुराण 35 31-34
अर्थात् जितने वर्ष तक पुरुष की अस्थियां ( फूल ) गंगा में रहती हैं, उतने हजार वर्षों तक वह स्वर्गलोक में पूजित होता है।
गंगा को सभी तीर्थों में परम तीर्थ और नदियों में श्रेष्ठ नदी माना गया है, वह सभी प्राणियों, यहां तक कि महापातकियों को भी मोक्ष प्रदान करने वाली हैं।
गंगा सर्व - साधारण के लिए सर्वत्र सुलभ होने पर भी हरिद्वार, प्रयाग एवं गंगासागर - इन तीनों स्थानों में दुर्लभ होती है।
उत्तम गति की इच्छा करने वाले तथा पाप से उपहत चित्त वाले सभी प्राणियों के लिए गंगा के समान और कोई दूसरी गति नहीं है।
मृतक की पंचांग अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने के संबंध में शास्त्रकार कहते हैं।
यावदस्थीनि गंगायां तिष्ठिन्ति पुरुषस्य च।
तावद्वर्ष सहस्राणि ब्रह्मलोके महीयते ॥
-शंखस्मृति
अर्थात मृतक की अस्थियां जब तक गंगा में रहती हैं, तब तक मृतात्मा शुभ लोकों में निवास करता हुआ हजारों वर्षों तक आनन्दोपभोग करता है।
धार्मिक लोगों में यह भी मान्यता है कि तब तक मृतात्मा की परलोक यात्रा प्रारंभ नहीं होती, जब तक कि उसके फूल गंगा में विसर्जित नहीं कर दिए जाते।
HP OfficeJet Pro 8125e Impresora inalámbrica todo en uno de inyección de tinta a color, impresión, escaneo, copia, ADF, impresión dúplex, hogar y oficina, 3 meses de tinta instantánea incluidos
दूसरा, मृतक की अस्थियों को गंगा आदि पवित्र नदियों में विसर्जन करने की प्रथा के पीछे भी वैज्ञानिक तथ्य छुपा हुआ है।
चूंकि गंगा नदी से सैकड़ों वर्ग मील भूमि को सींचकर उपजाऊ बनाया जाता है, जिससे उसके निरंतर प्रवाह के कारण भी उपजाऊ शक्ति घटती रहती है।
ऐसे में गंगा में फास्फोरस की उपलब्धता बनी रहे, इसी लिए उसमें अस्थि विसर्जन करने की परंपरा बनाई गई है, ताकि फास्फोरस से युक्त खाद, पानी द्वारा अधिक पैदावार उत्पन्न की जा सके।
[セイコー] 腕時計 セイコーimport SEIKO 5 セイコーファイブ 自動巻き 海外モデル SNKE03KC メンズ ブラック
उल्लेखनीय है कि फास्फोरस भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए एक आवश्यक तत्त्व होता है, जो हमारी हड्डियों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। पंडारामा प्रभु राज्यगुरु