सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश
।। श्री सुंदर कहानी ।।
।। श्रीयजुर्वेद , श्रीऋग्वेद और श्रीविष्णुपुराण के अनुसार श्री गणेश चतुर्थी के पूजन व्रत और कथा का महातम महत्व , हमारे यहां गणेश भगवान की पूजा क्यों करते है? !!
हमारे यहां गणेश भगवान की पूजा क्यों करते है?
भगवान गणेश को समृद्धि, बुद्धि और अच्छे भाग्य का देवता माना जाता है।
भगवान गणेश, सर्वशक्तिमान माने जाते है।
माना जाता है कि भगवान गणेश, मनुष्यों के कष्ट हर लेते है और उनकी पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है।
परंपरा के अनुसार, हर धार्मिक उत्सव और समारोह की शुरूआत भगवान गणेश की पूजा से ही शुरू होती है।
गणेश भगवान का रूप, मनुष्य और जानवर के अंग से मिलकर बना हुआ है।
इसकी भी भगवान गणेश की पूजा में बड़ी भूमिका है जो गहरे आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती है।
भगवान गणेश को सभी अच्छे गुणों और सफलताओं का देवता माना जाता है ।
इसी लिए लोग हर अच्छे काम को करने से पहले गणेश जी की पूजा करना शुभ मानते है।
भगवान गणेश के जन्मदिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म के लोग, आध्यात्मिक शक्ति के लिए, कार्य सिद्धि के लिए और लाभ प्राप्ति के लिए भगवान गणेश का पूजन धूमधाम से करते है।
भगवान गणेश को सभी दुखों का हर्ता, संकट दूर करने वाला, सदबुद्धि देने वाला माना जाता है।
उनकी पूजा करने से आध्यात्मिक समृद्धि मिलती है और सभी बाधाएं दूर होती है।
भगवान गणेश के हर रूप की पूजा, विशिष्ट व्याख्या प्रदान करती है।
भगवान गणेश की पूजा करने वाले लोगों के कई मत होते है।
लोगों द्वारा भगवान गणेश की पूजा सर्वप्रथम करने और उसके पीछे के कारणों को जानना बेहद रोचक होता है।
आज हम आपको कुछ महत्वपूर्ण और रोचक तथ्य बता रहे हैं कि किसी भी समारोह, उत्सव या अनुष्ठान में भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले क्यों की जाती है।
हिंदू धर्म के सभी अनुयायियों का मानना है कि किसी भी नए काम को शुरू करते समय भगवान गणेश का पूजन करने से उसमें कोई बाधा नहीं आती है।
ऐसा माना जाता है कि अगर आपकी सफलता के रास्ते में कोई बाधा आती है तो भगवान गणेश की पूजा करने से दूर हो जाती है।
भगवान गणेश जी की एक पत्नी सिद्धि है।
सिद्धि, आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है।
इस लिए भगवान गणेश की पूजा, आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।
पारंपरिक रूप से, भगवान गणेश की सूंड सीधी तरफ घुमी हुई है इसी कारण उन्हे सिद्धि विनायक भी कहा जाता है।
गणेश जी की एक पत्नी का नाम बुद्धि था, ऐसा माना जाता है।
इसी लिए, भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का प्रदाता माना जा रहा है।
हाथी के मस्तिष्क को बुद्धि के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
भगवान गणेश की एक पत्नी का नाम सिद्धि है।
सिद्धि से तात्पर्य - समृद्धि से होता है।
भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में संपन्नता और समृद्धि आती है।
भगवान गणेश हमारे जीवन में आने वाली हर समृद्धि के शासक माने जाते है।
माना जाता है कि भगवान गणेश, घमंड, स्वार्थ और अभिमान का नाश करते है।
भगवान गणेश, विविध और शानदार तरीके से भौतिक जगत को अभिव्यक्त करते है।
भगवान गणेश, ऊपरी बांए हाथ में एक कुल्हाड़ी धारण करते है ।
जो उन्हे मानवीय भावनाओं से मुक्त दर्शाती है और उनके ऊपरी दांए हाथ में कमल है ।
जो उनके अंदर हर भावना को दर्शाता है।
अत: स्पष्ट है भगवान गणेश, भावनाओं पर विजय प्राप्त कर चुके है और मानव जाति का उद्धार करते है।
भगवान गणेश की पूजा करने से मनुष्य में मन में भरा अंहकार मिट जाता है।
भगवान गणेश की सवारी जो उनके पास ही बैठता है, हमेशा दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति अंहकार को छोड़कर सही बन सकता है।
भगवान गणेश सदैव बांए पैर को दाएं पैर रखकर बैठते है, जो उनके ज्ञान को दर्शाता है कि वह हर बात को अलग नजरिए से देखते है।
यह दर्शाता है कि एक सफल जीवन जीने के लिए ज्ञान और भावनाओं का सही उपयोग करना चाहिए।
भगवान गणेश, ओम और प्रणव का प्रतिनिधित्व करते है।
ओम्, हिंदू धर्म का प्रमुख मंत्र है।
भगवान गणेश की किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले इस मंत्र का जाप अवश्य किया जाता है।
!!!!! शुभमस्तु !!!
।। श्रीयजुर्वेद , श्रीऋग्वेद और श्रीविष्णुपुराण के अनुसार श्री गणेश चतुर्थी के पूजन व्रत और कथा का महातम महत्व ।।
★★श्री यजुर्वेद , श्री ऋग्वेद और श्रीविष्णुपुराण , के अनुसार श्री गणेश चतुर्थी के पूजन व्रत और कथा का महातम महत्व ।
श्री यजुर्वेद के अनुसार श्रीगणेश के कल्याणकारी पूजन मन्त्र ।
मंत्रो मे से कोई भी एक मंत्र का जाप करे।
1 गं ।
2 ग्लं ।
3 ग्लौं ।
4 श्री गणेशाय नमः ।
5 ॐ वरदाय नमः ।
6 ॐ सुमंगलाय नमः ।
7 ॐ चिंतामणये नमः ।
8 ॐ वक्रतुंडाय हुम् ।
9 ॐ नमो भगवते गजाननाय ।
10 ॐ गं गणपतये नमः ।
11ॐ ॐ श्री गणेशाय नमः ।
इन मंत्रो के जप से व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता है परिस्थितिवश अगर कष्ट आता भी है तो उनसे पार पाने का सामर्थ्य मिलता है।
आर्थिक स्थिति मे सुधार होता है।
एवं सर्व प्रकार की रिद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है।
भगवान गणपति के अन्य दुर्भाग्य नाशक मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
ऐसा श्री ऋग्वेद के अनुसार शास्त्रोक्त वचन हैं कि गणेश जी का यह मंत्र चमत्कारिक और तत्काल फल देने वाला मंत्र हैं।
इस मंत्र का पूर्ण भक्तिपूर्वक जाप करने से समस्त बाधाएं दूर होती हैं।
षडाक्षर का जप आर्थिक प्रगति व समृध्दिदायक है ।
ॐ वक्रतुंडाय हुम्
किसी के द्वारा कि गई तांत्रिक क्रिया को नष्ट करने के लिए, विविध कामनाओं की शीघ्र पूर्ति के लिए उच्छिष्ट गणपति कि साधना की जाती हैं।
उच्छिष्ट गणपति के मंत्र का जाप अक्षय भंडार प्रदान करने वाला हैं।
ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का यह मंत्र जपे
ॐ गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
मंत्र जाप से कर्म बंधन, रोगनिवारण, कुबुद्धि, कुसंगत्ति, दूर्भाग्य, से मुक्ति होती हैं। समस्त विघ्न दूर होकर धन, आध्यात्मिक चेतना के विकास एवं आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्बं गणपति का मंत्र जपे।
ॐ गूं नम:
रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक समृध्दि प्राप्त होकर सुख सौभाग्य प्राप्त होता हैं।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पतये वर वरदे नमः ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात
लक्ष्मी प्राप्ति एवं व्यवसाय बाधाएं दूर करने हेतु उत्तम मान गया हैं।
ॐ गीः गूं गणपतये नमः स्वाहा
इस मंत्र के जाप से समस्त प्रकार के विघ्नो एवं संकटो का का नाश होता हैं।
ॐ श्री गं सौभाग्य गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा
अथवा
ॐ वक्रतुण्डेक द्रष्टाय क्लीं हीं श्रीं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मं दशमानय स्वाहा
विवाह में आने वाले दोषो को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करने से शीघ्र विवाह व अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नमः
इस मंत्र के जाप से मुकदमे में सफलता प्राप्त होती हैं।
ॐ गं गणपतये सर्वविघ्न हराय सर्वाय सर्वगुरवे लम्बोदराय ह्रीं गं नमः
वाद - विवाद, कोर्ट कचहरी में विजय प्राप्ति, शत्रु भय से छुटकारा पाने हेतु उत्तम।
ॐ नमः सिद्धिविनायकाय सर्वकार्यकर्त्रे सर्वविघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्य कारनाय सर्वजन सर्व स्त्री पुरुषाकर्षणाय श्री ॐ स्वाहा
इस मंत्र के जाप को यात्रा में सफलता प्राप्ति हेतु प्रयोग किया जाता हैं।
ॐ हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपत्ये वरद वरद सर्वजन हृदये स्तम्भय स्वाहा
यह हरिद्रा गणेश साधना का चमत्कारी मंत्र हैं।
ॐ ग्लौं गं गणपतये नमः
गृह कलेश निवारण एवं घर में सुखशान्ति कि प्राप्ति हेतु।
ॐ गं लक्ष्म्यौ आगच्छ आगच्छ फट्
इस मंत्र के जाप से दरिद्रता का नाश होकर, धन प्राप्ति के प्रबल योग बनने लगते हैं।
ॐ गणेश महालक्ष्म्यै नमः
व्यापार से सम्बन्धित बाधाएं एवं परेशानियां निवारण एवं व्यापर में निरंतर उन्नति हेतु।
ॐ गं रोग मुक्तये फट्
भयानक असाध्य रोगों से परेशानी होने पर, उचित ईलाज कराने पर भी लाभ प्राप्त नहीं होरहा हो, तो पूर्ण विश्वास सें मंत्र का जाप करने से या जानकार व्यक्ति से जाप करवाने से धीरे - धीरे रोगी को रोग से छुटकारा मिलता हैं।
ॐ अन्तरिक्षाय स्वाहा
इस मंत्र के जाप से मनोकामना पूर्ति के अवसर प्राप्त होने लगते हैं।
गं गणपत्ये पुत्र वरदाय नमः
इस मंत्र के जाप से उत्तम संतान कि प्राप्ति होती हैं।
ॐ वर वरदाय विजय गणपतये नमः
इस मंत्र के जाप से मुकदमे में सफलता प्राप्त होती हैं।
ॐ श्री गणेश ऋण छिन्धि वरेण्य हुं नमः फट
यह ऋण हर्ता मंत्र हैं।
इस मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए।
इससे गणेश जी प्रसन्न होते है और साधक का ऋण चुकता होता है।
कहा जाता है कि जिसके घर में एक बार भी इस मंत्र का उच्चारण हो जाता है है उसके घर में कभी भी ऋण या दरिद्रता नहीं आ सकती।
इन मंत्रों के अतिरिक्त गणपति अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत, गणेशकवच, संतान गणपति स्त्रोत, ऋणहर्ता गणपति स्त्रोत, मयूरेश स्त्रोत, गणेश चालीसा का पाठ करते रहने से गणेश जी की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है।
जप विधि
प्रात: स्नानादि शुद्ध होकर कुश या ऊन के आसन पर पूर्व की ओर मुख कर बैठें।
सामने गणॆशजी का चित्र, यंत्र या मूर्ति स्थाप्ति करें फिर षोडशोपचार या पंचोपचार से भगवान गजानन का पूजन कर प्रथम दिन संकल्प करें।
इसके बाद भगवान गणेश का एकाग्रचित्त से ध्यान करें।
नैवेद्य में यदि संभव हो तो बूंदि या बेसन के लड्डू का भोग लगाये नहीं तो गुड का भोग लगाये ।
साधक गणेशजी के चित्र या मूर्ति के सम्मुख शुद्ध घी का दीपक जलाए।
रोज १०८ माला का जाप करने से शीघ्र फल कि प्राप्ति होती हैं।
यदि एक दिन में १०८ माला संभव न हो तो ५४, २७,१८ या ९ मालाओं का भी जाप किया जा सकता हैं।
मंत्र जाप करने में यदि आप असमर्थ हो, तो किसी ब्राह्मण को उचित दक्षिणा देकर उनसे जाप करवाया जा सकता हैं ।
अथवा प्रथम दिन अजपाजाप का संकल्प लेकर दिन भर अन्य कार्य भी करते हुए मन ही मन कामना अनुसार मन्त्र जाप करते रहने से पूर्वजनित प्रारब्ध कटता है ।
जिससे आपके द्वारा किये गए मंत्रजप धीरे धीरे फल देने लगते है।
श्री ऋग्वेद और श्री विष्णुपुराण के अनुसार श्री गणपति की कथा :
'श्री गणेशाय नम:'
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चौथ गणेश चतुर्थी व्रत करने से घर - परिवार में आ रही विपदा दूर होती है ।
कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्री गणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं।
हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा और कथा पढ़ना अथवा सुनना जरूरी होता है।
कथा : -
श्री ऋग्वेद और श्री विष्णुपुराण के अनुसार श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव तथा माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे।
वहां माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने के लिए चौपड़ खेलने को कहा।
शिव चौपड़ खेलने के लिए तैयार हो गए, परंतु इस खेल में हार - जीत का फैसला कौन करेगा ।
यह प्रश्न उनके समक्ष उठा तो भगवान शिव ने कुछ तिनके एकत्रित कर उसका एक पुतला बनाकर उसकी प्राण - प्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा-
'बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं ।
परंतु हमारी हार - जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है ।
इसी लिए तुम बताना कि हम दोनों में से कौन हारा और कौन जीता?'
उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का चौपड़ खेल शुरू हो गया।
यह खेल 3 बार खेला गया और संयोग से तीनों बार माता पार्वती ही जीत गईं।
खेल समाप्त होने के बाद बालक से हार - जीत का फैसला करने के लिए कहा गया ।
तो उस बालक ने महादेव को विजयी बताया।
यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और क्रोध में उन्होंने बालक को लंगड़ा होने ।
कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया।
बालक ने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि यह मुझसे अज्ञानतावश ऐसा हुआ है ।
मैंने किसी द्वेष भाव में ऐसा नहीं किया।
बालक द्वारा क्षमा मांगने पर माता ने कहा-
'यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी ।
उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो ।
ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे।'
यह कहकर माता पार्वती शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं।
एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्याएं आईं ।
तब नागकन्याओं से श्री गणेश के व्रत की विधि मालूम करने पर उस बालक ने 21 दिन लगातार गणेश जी का व्रत किया।
उसकी श्रद्धा से गणेश जी प्रसन्न हुए।
उन्होंने बालक को मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा।
उस पर उस बालक ने कहा-
'हे विनायक!
मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता - पिता के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंच सकूं और वे यह देख प्रसन्न हों।'
तब बालक को वरदान देकर श्री गणेश अंतर्ध्यान हो गए।
इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और कैलाश पर्वत पर पहुंचने की अपनी कथा उसने भगवान शिव को सुनाई।
चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती शिवजी से विमुख हो गई थीं ।
अत: देवी के रुष्ट होने पर भगवान शिव ने भी बालक के बताए अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया।
इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान शिव के लिए जो नाराजगी थी ।
वह समाप्त हो गई।
तब यह व्रत विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताई।
यह सुनकर माता पार्वती के मन में भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जागृत हुई।
तब माता पार्वती ने भी 21 दिन तक श्री गणेश का व्रत किया तथा दूर्वा, फूल और लड्डूओं से गणेशजी का पूजन - अर्चन किया।
व्रत के 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं माता पार्वतीजी से आ कर मिले।
उस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का यह व्रत समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला व्रत माना जाता है।
इस व्रत को करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो कर मनुष्य को समस्त सुख - सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
JAM KHAMBHALIYA - 361305
(GUJRAT )
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जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏