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Monday, January 6, 2025

*!! व्यर्थ के क्रोध , *प्रार्थना..*, * हे प्रभु परमेश्वर 🧘‍♂️!!*

*!!  व्यर्थ के क्रोध ,     *प्रार्थना..* ,  * हे प्रभु परमेश्वर 🧘‍♂️!!* 



*विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय*
 *कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।*

*कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय*
*दारिद्रयदु:खदहनाय नमः शिवाय।।*

*गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय*
 *कालान्तकाय भुजगाधिपकंकणाय।*

*गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय*
 *दारिद्रयदु:खदहनाय नमः शिवाय।।*



*समस्त चराचर विश्व के स्वामि रूप विश्वेश्वर, नरकरूपी संसार सागर से उद्धार करने वाले, कर्ण से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले, अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषण रूप में धारण करने वाले, कर्पूर की कान्ति के समान धवल वाले, जटाधारी और दरिद्रतारूपी दुख के विनाशक भगवान् शिव को मेरा नमस्कार है।*

*गौरी के अत्यंत प्रिय, रजनीश्वर ( चन्द्र) - की कला को धारण करने वाले, काल के भी अन्तक ( यम ) - रूप, नागराज को कंकण में धारण करने वाले, अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले, गजराज का विमर्दन करने वाले और दरिद्रतारूपी दुख के विनाशक भगवान् शिव को मेरा नमस्कार है।*

  *|| जय गौरीशंकर महादेव ||*
 

         !! व्यर्थ का क्रोध !।


एक साँप, एक बढ़ई की औजारों वाली बोरी में घुस गया।


घुसते समय,बोरी में रखी हुई बढ़ई की आरी उसके शरीर में चुभ गई और उसमें घाव हो गया,जिससे उसे दर्द होने लगा और वह विचलित हो उठा।

गुस्से में उसने,उस आरी को अपने दोनों जबड़ों में जोर से दबा दिया।

अब उसके मुख में भी घाव हो गया और खून निकलने लगा।

अब इस दर्द से परेशान हो कर,उस आरी को सबक सिखाने के लिए,अपने पूरे शरीर को उस साँप ने उस आरी के ऊपर लपेट लिया और पूरी ताकत के साथ उसको जकड़ लिया।इस से उस साँप का सारा शरीर जगह जगह से कट गया और वह मर गया।

ठीक इसी प्रकार कई बार,हम तनिक सा आहत होने पर आवेश में आकर सामने वाले को सबक सिखाने के लिए, अपने आप को अत्यधिक नुकसान पहुंचा देते हैं।

*शिक्षा:-*

क्रोध से हानि और पछतावे के अतिरिक्त कुछ और प्राप्त नहीं होता..!!

    *🙏🏻🙏🙏🏽जय श्री कृष्ण*🙏🏼🙏🏾🙏🏿

                 *प्रार्थना..*

                🔸🔹🔸
प्रार्थना ईश्वर के प्रति अंतर आत्मा से निकली हुई पुकार है, इस पुकार में बनावटीपन नहीं होता है।

हृदय की गहराई से निकली हुई पुकार कभी भी निष्फल नहीं होती क्योकि इसमें गहन आस्था और प्रबल विश्वास होता है, और इसका परिणाम हमेशा सकारात्मक होता है।

हमारे प्राचीन ग्रंथो में भक्तो के द्वारा की गयी अंतरात्मा की पुकार और ईश्वर द्वारा उस पुकार के प्रत्युतर के कई उदाहरण है।

जब ये पुकार द्रोपदी,मीरा,प्रहलाद,आदि के श्रद्धा,आस्था व विश्वास से भरे हृदय से निकली तो भगवान ने उनकी सहायता की।

जब व्यक्ति मन और वाणी को एक करके विश्वास के साथ किसी सकारात्मक मनोकामना के लिए प्रार्थना करता है तो ईश्वर उस पवित्र ह्रदय से निकली हुई प्रार्थना को स्वीकार करता है।

प्रार्थना के माध्यम से व्यक्ति पर ईश्वरीय प्रेम और कृपा की वृष्टि होती है,यह कृपा वृष्टि व्यक्ति को कष्टों से छुटकारा दिलाती है और सही मार्गदर्शन प्रदान करती है।

प्रार्थना व्यक्ति के मन को नियंत्रित करती है,उसके चित्त की शुद्धि करती है,चेतना परिष्कृत और विकसित होती है।
प्रार्थना देवत्व की अनुभूति का श्रेष्ठ माध्यम
है।

सच्ची श्रद्धा तथा विश्वास से युक्त प्रार्थना करने से ह्रदय में शान्ति की धारा प्रवाहित होती है तथा आत्मा में आनंद की वृष्टि होती है।

व्यक्ति की शुभ और कल्याणकारी कामना अवश्य पूर्ण होती है।

अंतःकरण को मलीन बनाने वाली कुत्सित भावनाओ तथा स्वार्थ एवं संकीर्णताओं से छुटकारा मिलता है।

शरीर स्वस्थ तथा परिपुष्ट, मन सूक्ष्म तथा उन्नत और आत्मा पवित्र तथा निर्मल हो जाती है।

दुःख के स्थान पर सुख का आनंद प्राप्त होता है।

प्रार्थना व्यक्ति में यह भाव उत्पन्न करती है कि वह समस्या का सामना करने के लिए अकेला नहीं है बल्कि उसके साथ दिव्य शक्ति भी है।

भिन्न-भिन्न धर्म के अनुयायी भिन्न-भिन्न तरीकों से प्रार्थना करते हैं परन्तु सभी धर्मो में प्रार्थना का एक ही लक्ष्य है ईश्वर से निकटता,उसका सानिध्य,उसकी कृपा दृष्टि और उसका मार्गदर्शन प्राप्त करना।

प्रार्थना करने के लिए किसी निश्चित औपचारिकता की आवश्यकता नहीं है।

प्रार्थना के लिए कुछ समय तक शांत होकर बैठे,अपने मन को ईश्वरीय सत्ता पर केन्द्रित कीजिये।

ईश्वर से सरल और स्वाभाविक तरीके से बात करिए क्योंकि उससे बात करने के लिए औपचारिक शब्दों की आवश्यकता नहीं है।

प्रार्थना करते समय आश्वस्त होइए कि ईश्वर आपके साथ है और वह आपकी सहायता कर रहा है।

वह आपकी ओर दिव्य शक्ति प्रवाहित कर रहा है,शुभाशीष दे रहा है तथा आपकी कल्याणकारी प्रार्थना को स्वीकार कर रहा है।

प्रार्थना से दिन की शुरुआत करने से व्यक्ति के मन में उत्साह,उल्लास व आत्मविश्वास भर जाता है..!!

अच्छी संगतअपनाइए यदि न मिले तो एकांत ही बेहतर है ।
क्योंकि दिखावे के रिश्तों में नहीं हकीकत में जीना सीखिए समय जब विपरीत हो तो शांत रहना ही उत्तम होता है ।

वास्तविकता का परिचय तो ज़िंदगी की किताब कराती हैं वरना भ्रम में जी रहे हम लोग हर किसी को अपना आइना समझ बैठते हैं।

एक रुपया एक लाख नहीं होता फिर भी एक रुपया एक लाख से निकाल लो तो वो एक लाख भी नही रहता।

हम और आप मित्र समूह में वही एक रुपया हैं संभल के रहियेगा जिसे घुटने मोड़कर सोना आ गया। 

उसे जीवन में कोई भी चादर उनके जीवन मे छोटी नहीं पड़ती।

 *!! हे प्रभु परमेश्वर 🧘‍♂️!!*


कोई भी आवेदन नहीं किया था....!




किसी की भी सिफारिश नहीं थी, ऐसा कोई असामान्य कार्य भी नहीं है....!

फिर भी...!

सिर के *बालों से* लेकर पैर के *अंगूठे तक* 24 घंटे भगवान, तू *रक्त* प्रवाहित करता है...!

*जीभ पर* नियमित अभिषेक कर रहा है...!

निरंतर तू मेरा ये *हृदय* चलाता है...!

चलने वाला कौन सा *यंत्र* तूने फिट कर दिया है *हे भगवान...*
*पैर के नाखून से लेकर सिर के बालों तक बिना बाधा के संदेशवाहन करने वाली प्रणाली...!*

किस *अदृश्य शक्ति* से चल रही है....!

कुछ समझ नहीं आता।

*हड्डियों और मांस में* बनने वाला *रक्त* कौन सा अद्वितीय *आर्किटेक्चर* है...!

इसका मुझे कोई आभास, ज्ञान नहीं है।

*हजार-हजार मेगापिक्सल वाले दो-दो कैमरे* आंखें दिन-रात सारी दृश्यें संझो रहे हैं।

*दस - दस हजार* टेस्ट करने वाली *जीभ* नाम की टेस्टर,

अनगिनत *संवेदनाओं* का अनुभव कराने वाली *त्वचा* नाम की *सेंसर प्रणाली*...!

और...!

अलग - अलग *फ्रीक्वेंसी के* स्वर, नाद उत्पन्न करने वाली *स्वर प्रणाली....!*

और...!

उन फ्रीक्वेंसी का *कोडिंग-डीकोडिंग* करने वाले *कान* नाम का मंत्र या यंत्र...!

*पचहत्तर प्रतिशत पानी से भरा शरीर रूपी टैंकर हजारों छिद्र होने के उपरांत कहीं भी लीक नहीं होता...!*

*स्टैंड के बिना* मैं खड़ा रह सकता हूं...!

गाड़ी के *टायर* घिसते हैं, पर पैर के *तलवे* कभी नहीं घिसते।

*अद्भुत* ऐसी रचना है।

*देखभाल, स्मृति, शक्ति, शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य ये सब भगवान तू देता है।* 

तू ही अंदर बैठ कर *शरीर* चला रहा है।

*अद्भुत* है यह सब, *अविश्वसनीय है।*

ऐसे *शरीर रूपी* मशीन में हमेशा तू ही है...!

इस का अनुभव कराने वाला *आत्मा* भगवान तू ऐसा कुछ *फिट* कर दिया है कि और क्या तुझसे मांगूं...!

तेरे इस *जीवाशिवा* के खेल का निश्छल, *निस्वार्थ आनंद* का हिस्सा रहूं...!

ऐसी *सद्बुद्धि* मुझे दे!!

अपने द्वारे की सेवा में अपने श्री चरणों में लगाए रखना!*

तू ही यह सब संभालता है।

इस का *अनुभव* मुझे हमेशा रहे!!! 

प्रति दिन, पल - पल, क्षण क्षण कृतज्ञता से तेरा ऋणी होने का स्मरण, चिंतन हो, यही परमेश्वर के चरणों में प्रार्थना है!😷*
📿📿📿📿📿📿📿

🙏प्रभु का छोटा सा एक सेवक प्रभु और प्रभु का श्रावक।👏
पंडारामा प्रभु राज्यगुरु 
( द्रविण ब्राह्मण / तमिल ब्राह्मण )
✍️💐🙏🏻🕉️🪔🧘‍♂️🌞🚩
               🙏🕉️🙏
   *🙏🏾🙏🏼🙏🏽जय श्री कृष्ण*🙏🙏🏻🙏🏿