सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता, किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद
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जय द्वारकाधीश.
कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन , मैं आपका चेहरा याद करना चाहता हूं , श्रीमद्भागवत और श्री विष्णुपुराण के अनुसार वृंदावन में कुंभ क्यों होता है , मानव जन्म , गोमती चक्र ? ગોમતી ચક્ર ?
कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन , मैं आपका चेहरा याद करना चाहता हूं , श्रीमद्भागवत और श्री विष्णुपुराण के अनुसार वृंदावन में कुंभ क्यों होता है , मानव जन्म , गोमती चक्र ? ગોમતી ચક્ર ?
कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन ।
कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन।
बाल गोविद के भजन में ।
मिले सभी को चैन।
सांवरि सूरत देखि कै, रहे प्रफुल्लित गात।
पल पल में हरि को भजूं, और न कोई बात।
माखन खाये गांव का, नंद नदन नदलाल।
मनमोहन श्री कृष्ण सग, रहत बाल गोपाल।
राधा का जो प्रेम है, न कोउ ऐसा दीख।
प्रेम का एक प्रमाण है, सच का वही प्रतीक।
समुद्र सभी के लिए एक ही है ...
पर...,
कुछ उसमें से मोती ढूँढ़ते है ...
तो कुछ उसमें से मछली ढूँढ़ते है ...
और कुछ सिर्फ अपने पैर गीले करते है...
ज़िदगी भी...
समुद्र की भांति ही है....
यह सिर्फ हम पर ही निर्भर करता है....
कि इस जीवन रुपी समुद्र से हम क्या पाना चाहते है.....
हमें क्या ढूंढ़ना है... ?
🌹 जय श्री कृष्ण 🌹
====================मैं आपका चेहरा याद करना चाहता हूं ।
मैं आपका चेहरा याद करना चाहता हूं ।
*ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं ।*
*तो मैं आपको पहचान सकू और एक बार और धन्यवाद दूंगा",,*,...................
एक साक्षात्कार में, रेडियो जॉकी ने अपने अतिथि, एक करोड़पति से पूछा,आपने जीवन में सबसे अधिक खुशी का एहसास कब किया.....????
करोड़पति ने कहा:मैं जीवन में खुशियों के चार पड़ावों से गुजरा हूं और आखिरकार मैंने सच्ची खुशी को समझा.......
पहला चरण धन और साधनों का संचय करना था....
लेकिन इस स्तर पर मुझे खुशी नहीं मिली.....
फिर मूल्यवान वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण.....
लेकिन मुझे एहसास हुआ कि इसका प्रभाव भी अस्थायी है और मूल्यवान चीजों की चमक लंबे समय तक नहीं रहती है......
फिर बड़े प्रोजेक्ट्स पाने का तीसरा चरण आया......
जैसे क्रिकेट टीम खरीदना, टूरिस्ट रिसोर्ट खरीदना आदि, लेकिन यहां भी मुझे वह खुशी नहीं मिली, जिसकी मैंने कल्पना की थी......
चौथी बार मेरे एक मित्र ने मुझे विकलांगों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा......
मैंने तुरंत उन्हें खरीदा ...
लेकिन मेरे दोस्त ने जोर देकर कहा कि मैं उसके साथ चलु और विकलांग बच्चों को व्हीलचेयर सोंपू।
मैं तैयार हो गया......
मैंने ये कुर्सियाँ अपने हाथों से जरूरतमंद बच्चों को दीं।
मैंने चेहरों पर खुशी की अजीब चमक देखी......
मैंने उन सभी को कुर्सियों पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा ...
ऐसा लगा जैसे वे किसी पिकनिक स्थल पर पहुंचे हों.....
जब मैं जगह छोड़ रहा था ।
तब बच्चों में से एक ने मेरे पैर पकड़ लिए.....
मैंने धीरे से अपने पैरों को मुक्त करने की कोशिश की ।
लेकिन बच्चा मेरे चेहरे को घूरता रहा ...
मैं नीचे झुका और बच्चे से पूछा: क्या आपको कुछ और चाहिए....????
बच्चे के जवाब ने न केवल मुझे खुश किया बल्कि मेरी जिंदगी भी पूरी तरह से बदल दी.....
बच्चे ने कहा....
"मैं आपके चेहरे को याद करना चाहता हूं ।
ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं ।
तो मैं आपको पहचानने में सक्षम हो जाऊंगा और एक बार और आपको धन्यवाद दूंगा"....
।। श्रीमद्भागवत और श्री विष्णुपुराण के अनुसार वृंदावन में कुंभ क्यों होता है ।।
हमारा वेदों और पुराणों में उलेख दिया है कि वृन्दावन में कुंभ क्यों ???
एक बार प्रयाग राज का कुम्भ योग था।
चारों ओर से लोग प्रयाग - तीर्थ जाने के लिये उत्सुक हो रहे थे।
श्रीनन्द महाराज तथा उनके गोष्ठ के भाई - बन्धु भी परस्पर परामर्श करने लगे कि हम भी चलकर प्रयाग - राज में स्नान - दान - पुण्य कर आवें।
किन्तु कन्हैया को यह कब मंज़ूर था।
प्रातः काल का समय था, श्रीनन्द बाबा वृद्ध गोपों के साथ अपनी बैठक के बाहर बैठे थे कि तभी सामने से एक भयानक काले रंग का घोड़ा सरपट भागता हुआ आया।
भयभीत हो उठे सब कि कंस का भेजा हुआ कोई असुर आ रहा है।
वह घोड़ा आया और ज्ञान - गुदड़ी वाले स्थल की कोमल - कोमल रज में लोट - पोट होने लगा।
सबके देखते - देखते उसका रंग बदल गया, काले से गोरा, अति मनोहर रूपवान हो गया वह।
श्रीनन्दबाबा सब आश्चर्यचकित हो उठे।
वह घोड़ा सबके सामने मस्तक झुका कर प्रणाम करने लगा।
श्रीनन्दमहाराज ने पूछा-
'कौन है भाई तू ?
कैसे आया और काले से गोरा कैसे हो गया ?
वह घोड़ा एक सुन्दर रूपवान विभूषित महापुरुष रूप में प्रकट हो हाथ जोड़ कर बोला-
"हे व्रजराज !
मैं प्रयागराज हूँ।
विश्व के अच्छे बुरे सब लोग आकर मुझमें स्नान करते हैं और अपने पापों को मुझमें त्याग कर जाते हैं ।
जिससे मेरा रंग काला पड़ जाता है।
अतः मैं हर कुम्भ से पहले यहाँ श्रीवृन्दावन आकर इस परम पावन स्थल की धूलि में अभिषेक प्राप्त करता हूँ।
मेरे समस्त पाप दूर हो जाते हैं।
निर्मल - शुद्ध होकर मैं यहाँ से आप व्रजवासियों को प्रणाम कर चला जाता हूँ।
अब मेरा प्रणाम स्वीकार करें।"
इतना कहते ही वहाँ न घोड़ा था न सुन्दर पुरुष।
श्रीकृष्ण बोले-
"बाबा !
क्या विचार कर रहे हो ?
प्रयाग चलने का किस दिन मुहूर्त है ?"
नन्दबाबा और सब व्रजवासी एक स्वर में बोल उठे-
"अब कौन जायेगा प्रयागराज ?
प्रयागराज हमारे व्रज की रज में स्नान कर पवित्र होता है, फिर हमारे लिये वहाँ क्या धरा है ?"
सबने अपनी यात्रा स्थगित कर दी।
ऐसी महिमा है श्रीब्रज रज व श्रीधाम वृन्दावन की।
धनि धनि श्रीवृन्दावन धाम॥
जाकी महिमा बेद बखानत, सब बिधि पूरण काम॥
आश करत हैं जाकी रज की, ब्रह्मादिक सुर ग्राम॥
लाडिलीलाल जहाँ नित विहरत, रतिपति छबि अभिराम॥
रसिकनको जीवन धन कहियत, मंगल आठों याम॥
नारायण बिन कृपा जुगलवर, छिन न मिलै विश्राम॥
🌹🍁 "जय जय श्री कृष्ण राधे कृष्ण" 🍁🌹
मानव जन्म
मानव जन्म
*हमें संसार में ईश्वर ने मनुष्य का जन्म दिया, सोचिए, क्यों दिया?*
*हम कहेंगे , हमारे पिछले अच्छे कर्मों का फल है।*
*ठीक है, मान लेते हैं ।*
*हमारे पिछले अच्छे कर्मों का फल है ।*
*कि हमे ईश्वर ने मनुष्य का जन्म दिया।*
*परंतु अब इस उत्तम मनुष्य जन्म को प्राप्त करके आगे क्या करना है?*
*क्या आने वाले जन्म में फिर से मनुष्य शरीर प्राप्त करना चाहेंगे या नहीं?*
*हम कहेंगे , जी हां।*
*तो सोचिए क्या अगले जन्म में मनुष्य बनने के लिए शुभ कर्मों का आचरण कर रहे हैं अथवा नहीं ?*
*यदि नहीं कर रहे , तो शीघ्र आरंभ करें ।*
*धन कमाना अच्छी बात है ।*
*पर पूरा समय धन कमाने में ही नष्ट कर देना ।*
*यह अच्छी बात नहीं है ।*
*कुछ पुण्य कर्मों के लिए भी समय बचाएं ।*
*केवल धन कमाना ही उद्देश्य नहीं है*
*जो लोग सारा समय पैसा कमाने में खर्च कर देते हैं ।*
*वे अपने भविष्य को बिगाड़ रहे हैं ।*
*हमारा सारा पैसा हमारे काम नहीं आएगा ।*
*सब यहीं रह जाएगा, यदि हमने अच्छे कर्म नहीं किए ।*
*तो दूसरे लोग हमारी मेहनत की कमाई को खाएंगे*,
*और हम अगले जन्म में मनुष्य बनने से भी वंचित रह जाएंगे ।*
*इस लिए जागिए, सावधान हो जाइए,अपने दैनिक जीवन में से कुछ समय पुण्य कर्मों के लिए भी निकालिये ।*
*यही संपदा हमारे साथ जायेगी..!!*
गोमती चक्र ?
ગોમતી ચક્ર ?
तंत्र शास्त्र के अंतर्गत तांत्रिक क्रियाओं
में एक ऐसे पत्थर का उपयोग किया जाता है जो दिखने में बहुत ही साधारण
होता है लेकिन इसका प्रभाव असाधारण होता है। इस पत्थर को गोमती चक्र कहते
हैं। गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता
है। गोमती चक्र के साधारण तंत्र उपयोग इस प्रकार हैं-
- पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दूर हो जाते हैं।
- धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें। उनके सामने श्री नम: का जप करें। इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं उसमें बरकत होगी और आमदनी बढऩे लगेगी।
- गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदूर तथा चावल डालकर रखें तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं।
- होली, दीवाली तथा नवरात्र आदि प्रमुख त्योहारों पर गोमती चक्र की विशेष पूजा की जाती है। अन्य विभिन्न मुहूर्तों के अवसर पर भी इनकी पूजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रविपुष्य योग पर इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
PANDIT PRABHULAL P. VORIYA RAJPUT JADEJA KULL GURU :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology
& Vastu Science)
" Shri Albai Nivas ", Near Mahaprabhuji bethak,
Opp. S.t. bus steson , Bethak Road,
Jamkhambhaliya - 361305 Gujarat – India
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राधे ........राधे ..... राधे .....राधे..... राधे .....राधे..... राधे
.....राधे..... राधे .....राधे.....
દરેક જ્યોતિષ મિત્રો ને નિવેદન છે આપ મારા આપેલા લેખો
ની કોપી ના કરે હું કોય ના લેખો ની કોપી કરતો નથી કે કોય કોયના લેખો ની કોપી કરી
હોય તે વિદ્યા આગળ વધારવી ના હોય તો કોપી કરવાથી તમને ના આવડે આપ અપની મહેનતે
ત્યાર થાવ તો આગળ અવાય ધન્યવાદ ......., જય દ્વારકાધીશ
गोमती चक्र ?
ગોમતી ચક્ર ?
તંત્રશાસ્ત્રની અંતર્ગત તાંત્રિક ક્રિયાઓમાં
એક એવા પત્થરનો ઉપયોગ કરવામાં આવે છે જે દેખાવે ખૂબ જ સાધારણ હોય છે
પરંતુ તેનો પ્રભાવ અસાધારણ હોય છે. આ પત્થરને ગોમતી ચક્ર કહે છે.
ગોમતીચક્ર ઓછી કિંમતવાળો એક એવો પત્થર હોય છે જે ગોમતી નદીમાં જ પ્રાપ્ત થાય છે.
ગોમતી ચક્રને સાધારણ તંત્ર ઉપયોગ આ રીતે છે.
-પેટને લગતા રોગો થાય ત્યારે 10 ગોમતી ચક્ર રાતે પાણીમાં નાખી દો તથા સવારે તે પાણીને પી લો. તેનાથી પેટના લગતા જુદા-જુદા રોગો દૂર થઈ જાય છે.
-ધનલાભ માટે 11 ગોમતી ચક્ર પોતાના પૂજા સ્થાનમાં રાખો. તેની સામે શ્રી નમઃ નો જાપ કરો. તેનાથી તમે જે પણ કાર્ય કે વ્યવસાય કરો છો તેમાં વધારો થાય છે અને આવક પણ વધવા લાગે છે.
-ગોમતી ચક્રોને જો ચાંદી અથવા અન્ય કોઈ ધાતુની ડબ્બીમાં સિંદૂર તથા ચોખા નાખીને રાખો તો ઝડપથી શુફ ફળ પ્રાપ્ત થાય છે.
-હોળી, દિવાળી તથા નવરાત્રી વગેરે જેવા પ્રમુખ તહેવારો ઉપર ગોમતી ચક્રની વિશેષ પૂજા કરવામાં આવે છે, અન્ય વિભિન્ન મૂહૂર્તના અવસરે પણ તેની પૂજા લાભદાયી માનવામાં આવે છે. સર્વસિદ્ધિ યોગ તથા રવિપુષ્ય યોગ ઉપર તેની પૂજા કરવાથી ઘરમાં સુખ-શાંતિ બની રહે છે.
પંડિત પ્રભુલાલ પી. વોરિયા રાજપૂત જાડેજા કુલગુરુ :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology
& Vastu Science)
" શ્રી આલબાઈ નિવાસ ", મહા પ્રભુજી બેઠક પાસે,
એસ.ટી.બસ સ્ટેશન પાછળ, બેઠક રોંડ,
જામ ખંભાળિયા – ૩૬૧૩૦૫ ગુજરાત – ભારત
" શ્રી આલબાઈ નિવાસ ", મહા પ્રભુજી બેઠક પાસે,
એસ.ટી.બસ સ્ટેશન પાછળ, બેઠક રોંડ,
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