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Friday, April 20, 2012

कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन ,


सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करताकिसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश.

कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन , मैं आपका चेहरा याद करना चाहता हूं , श्रीमद्भागवत और श्री विष्णुपुराण के अनुसार वृंदावन में कुंभ क्यों होता है , मानव जन्म , गोमती चक्र ? ગોમતી ચક્ર ?

कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन , मैं आपका चेहरा याद करना चाहता हूं , श्रीमद्भागवत और श्री विष्णुपुराण के अनुसार वृंदावन में कुंभ क्यों होता है , मानव जन्म , गोमती चक्र ? ગોમતી ચક્ર ?

कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन । 



कृष्ण बिना सब कुछ अलग, भक्ति करत दिन रैन।

बाल गोविद के भजन में ।

मिले सभी को चैन।

सांवरि सूरत देखि कै, रहे प्रफुल्लित गात।

पल पल में हरि को भजूं, और न कोई बात।

माखन खाये गांव का, नंद नदन नदलाल।

मनमोहन श्री कृष्ण सग, रहत बाल गोपाल।

राधा का जो प्रेम है, न कोउ ऐसा दीख।

प्रेम का एक प्रमाण है, सच का वही प्रतीक।

समुद्र सभी के लिए एक ही है ...

 पर..., 

कुछ उसमें से मोती ढूँढ़ते है ... 

तो कुछ उसमें से मछली ढूँढ़ते है ... 

और कुछ सिर्फ अपने पैर गीले करते है... 

ज़िदगी भी... 

समुद्र की भांति ही है.... 

यह सिर्फ हम पर ही निर्भर करता है....

कि इस जीवन रुपी समुद्र से हम क्या पाना चाहते है.....

हमें क्या ढूंढ़ना है... ?

🌹 जय श्री कृष्ण 🌹
====================

मैं आपका चेहरा याद करना चाहता हूं  ।



मैं आपका चेहरा याद करना चाहता हूं ।

*ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं ।* 

*तो मैं आपको पहचान सकू और एक बार और धन्यवाद दूंगा",,*,...................

 एक साक्षात्कार में, रेडियो जॉकी ने अपने अतिथि, एक करोड़पति से पूछा,आपने जीवन में सबसे अधिक खुशी का एहसास कब किया.....????

 करोड़पति ने कहा:मैं जीवन में खुशियों के चार पड़ावों से गुजरा हूं और आखिरकार मैंने सच्ची खुशी को समझा.......

पहला चरण धन और साधनों का संचय करना था....

लेकिन इस स्तर पर मुझे खुशी नहीं मिली.....

 फिर मूल्यवान वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण.....

लेकिन मुझे एहसास हुआ कि इसका प्रभाव भी अस्थायी है और मूल्यवान चीजों की चमक लंबे समय तक नहीं रहती है......

फिर बड़े प्रोजेक्ट्स पाने का तीसरा चरण आया......

जैसे क्रिकेट टीम खरीदना, टूरिस्ट रिसोर्ट खरीदना आदि, लेकिन यहां भी मुझे वह खुशी नहीं मिली, जिसकी मैंने कल्पना की थी......

चौथी बार मेरे एक मित्र ने मुझे विकलांगों के लिए व्हीलचेयर खरीदने के लिए कहा...... 

मैंने तुरंत उन्हें खरीदा ... 

लेकिन मेरे दोस्त ने जोर देकर कहा कि मैं उसके साथ चलु और विकलांग बच्चों को व्हीलचेयर सोंपू। 

मैं तैयार हो गया......

मैंने ये कुर्सियाँ अपने हाथों से जरूरतमंद बच्चों को दीं।  

मैंने चेहरों पर खुशी की अजीब चमक देखी...... 

मैंने उन सभी को कुर्सियों पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा ... 

ऐसा लगा जैसे वे किसी पिकनिक स्थल पर पहुंचे हों.....

  जब मैं जगह छोड़ रहा था ।

तब बच्चों में से एक ने मेरे पैर पकड़ लिए..... 

मैंने धीरे से अपने पैरों को मुक्त करने की कोशिश की ।

लेकिन बच्चा मेरे चेहरे को घूरता रहा ...

 मैं नीचे झुका और बच्चे से पूछा: क्या आपको कुछ और चाहिए....????

 बच्चे के जवाब ने न केवल मुझे खुश किया बल्कि मेरी जिंदगी भी पूरी तरह से बदल दी.....  

बच्चे ने कहा....

 "मैं आपके चेहरे को याद करना चाहता हूं ।

ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं । 
तो मैं आपको पहचानने में सक्षम हो जाऊंगा और एक बार और आपको धन्यवाद दूंगा"....

।। श्रीमद्भागवत और श्री विष्णुपुराण के अनुसार वृंदावन में कुंभ क्यों होता है ।।




हमारा वेदों और पुराणों में उलेख दिया है कि वृन्दावन में कुंभ क्यों ???

एक बार प्रयाग राज का कुम्भ योग था। 

चारों ओर से लोग प्रयाग - तीर्थ जाने के लिये उत्सुक हो रहे थे। 

श्रीनन्द महाराज तथा उनके गोष्ठ के भाई - बन्धु भी परस्पर परामर्श करने लगे कि हम भी चलकर प्रयाग - राज में स्नान - दान - पुण्य कर आवें।

किन्तु कन्हैया को यह कब मंज़ूर था। 

प्रातः काल का समय था, श्रीनन्द बाबा वृद्ध गोपों के साथ अपनी बैठक के बाहर बैठे थे कि तभी सामने से एक भयानक काले रंग का घोड़ा सरपट भागता हुआ आया। 

भयभीत हो उठे सब कि कंस का भेजा हुआ कोई असुर आ रहा है।

वह घोड़ा आया और ज्ञान - गुदड़ी वाले स्थल की कोमल -  कोमल रज में लोट - पोट होने लगा। 

सबके देखते - देखते उसका रंग बदल गया, काले से गोरा, अति मनोहर रूपवान हो गया वह। 

श्रीनन्दबाबा सब आश्चर्यचकित हो उठे। 

वह घोड़ा सबके सामने मस्तक झुका कर प्रणाम करने लगा। 

श्रीनन्दमहाराज ने पूछा-

'कौन है भाई तू ? 

कैसे आया और काले से गोरा कैसे हो गया ?

वह घोड़ा एक सुन्दर रूपवान विभूषित महापुरुष रूप में प्रकट हो हाथ जोड़ कर बोला- 

"हे व्रजराज ! 

मैं प्रयागराज हूँ। 

विश्व के अच्छे बुरे सब लोग आकर मुझमें स्नान करते हैं और अपने पापों को मुझमें त्याग कर जाते हैं ।

जिससे मेरा रंग काला पड़ जाता है। 

अतः मैं हर कुम्भ से पहले यहाँ श्रीवृन्दावन आकर इस परम पावन स्थल की धूलि में अभिषेक प्राप्त करता हूँ। 

मेरे समस्त पाप दूर हो जाते हैं। 

निर्मल - शुद्ध होकर मैं यहाँ से आप व्रजवासियों को प्रणाम कर चला जाता हूँ। 

अब मेरा प्रणाम स्वीकार करें।"

इतना कहते ही वहाँ न घोड़ा था न सुन्दर पुरुष। 

श्रीकृष्ण बोले-

 "बाबा ! 

क्या विचार कर रहे हो ? 

प्रयाग चलने का किस दिन मुहूर्त है ?"

 नन्दबाबा और सब व्रजवासी एक स्वर में बोल उठे- 

"अब कौन जायेगा प्रयागराज ? 

प्रयागराज हमारे व्रज की रज में स्नान कर पवित्र होता है, फिर हमारे लिये वहाँ क्या धरा है ?" 

सबने अपनी यात्रा स्थगित कर दी। 

 ऐसी महिमा है श्रीब्रज रज व श्रीधाम वृन्दावन की।

धनि धनि श्रीवृन्दावन धाम॥

जाकी  महिमा  बेद  बखानत,  सब  बिधि  पूरण  काम॥

आश  करत  हैं जाकी  रज  की, ब्रह्मादिक  सुर  ग्राम॥

लाडिलीलाल जहाँ नित विहरत, रतिपति छबि अभिराम॥

रसिकनको  जीवन  धन  कहियत,  मंगल  आठों याम॥

नारायण  बिन  कृपा  जुगलवर,  छिन  न  मिलै  विश्राम॥

 🌹🍁 "जय जय श्री कृष्ण राधे कृष्ण" 🍁🌹

मानव जन्म 


मानव जन्म

 *हमें संसार में ईश्वर ने मनुष्य का जन्म दिया, सोचिए, क्यों दिया?*

 *हम कहेंगे , हमारे पिछले अच्छे कर्मों का फल है।* 

*ठीक है, मान लेते हैं ।* 

*हमारे पिछले अच्छे कर्मों का फल है ।* 

*कि हमे ईश्वर ने मनुष्य का जन्म दिया।*

*परंतु अब इस उत्तम मनुष्य जन्म को प्राप्त करके आगे क्या करना है?* 

*क्या आने वाले जन्म में फिर से मनुष्य शरीर प्राप्त करना चाहेंगे या नहीं?* 

*हम कहेंगे , जी हां।* 

*तो सोचिए क्या अगले जन्म में मनुष्य बनने के लिए शुभ कर्मों का आचरण कर रहे हैं अथवा नहीं ?* 

*यदि नहीं कर रहे , तो शीघ्र आरंभ करें ।* 

*धन कमाना अच्छी बात है ।* 

*पर पूरा समय धन कमाने में ही नष्ट कर देना ।* 

*यह अच्छी बात नहीं है ।* 

*कुछ पुण्य कर्मों के लिए भी समय बचाएं ।* 

*केवल धन कमाना ही उद्देश्य नहीं है* 

*जो लोग सारा समय पैसा कमाने में खर्च कर देते हैं ।* 

*वे अपने भविष्य को बिगाड़ रहे हैं ।*

*हमारा सारा पैसा हमारे काम नहीं आएगा ।* 

*सब यहीं रह जाएगा, यदि हमने अच्छे कर्म नहीं किए ।* 

*तो दूसरे लोग हमारी मेहनत की कमाई को खाएंगे*, 

*और हम अगले जन्म में मनुष्य बनने से भी वंचित रह जाएंगे ।* 

*इस लिए जागिए, सावधान हो जाइए,अपने दैनिक जीवन में से कुछ समय पुण्य कर्मों के लिए भी निकालिये ।* 

*यही संपदा हमारे साथ जायेगी..!!*

गोमती चक्र ?

ગોમતી ચક્ર ?

तंत्र शास्त्र के अंतर्गत तांत्रिक क्रियाओं में एक ऐसे पत्थर का उपयोग किया जाता है जो दिखने में बहुत ही साधारण होता है लेकिन इसका प्रभाव असाधारण होता है। इस पत्थर को गोमती चक्र कहते हैं। गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता है। गोमती चक्र के साधारण तंत्र उपयोग इस प्रकार हैं-


- पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट संबंध के विभिन्न रोग दूर हो जाते हैं।


- धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें। उनके सामने श्री नम: का जप करें। इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं उसमें बरकत होगी और आमदनी बढऩे लगेगी।



- गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदूर तथा चावल डालकर रखें तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं।





        - होली, दीवाली तथा नवरात्र आदि प्रमुख त्योहारों पर गोमती चक्र की विशेष पूजा की जाती है। अन्य विभिन्न मुहूर्तों के अवसर पर भी इनकी पूजा लाभदायक मानी जाती है। सर्वसिद्धि योग तथा रविपुष्य योग पर इनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

PANDIT PRABHULAL P. VORIYA RAJPUT JADEJA KULL GURU :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
SHREE SARSWATI JYOTISH KARYALAY
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Shri Albai Nivas ", Near Mahaprabhuji bethak,
Opp. S.t. bus steson , Bethak Road,
Jamkhambhaliya - 361305 Gujarat – India 
Cell Number +91- 9426633096 +91- 9427236337,  Skype : astrologer85
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जीविका हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश..

राधे ........राधे ..... राधे .....राधे..... राधे .....राधे..... राधे .....राधे..... राधे .....राधे.....


દરેક જ્યોતિષ મિત્રો ને નિવેદન છે આપ મારા આપેલા લેખો ની કોપી ના કરે હું કોય ના લેખો ની કોપી કરતો નથી કે કોય કોયના લેખો ની કોપી કરી હોય તે વિદ્યા આગળ વધારવી ના હોય તો કોપી કરવાથી તમને ના આવડે આપ અપની મહેનતે ત્યાર થાવ તો આગળ અવાય ધન્યવાદ ......., જય દ્વારકાધીશ

गोमती चक्र ?

ગોમતી ચક્ર ?

તંત્રશાસ્ત્રની અંતર્ગત તાંત્રિક ક્રિયાઓમાં એક એવા પત્થરનો ઉપયોગ કરવામાં આવે છે જે દેખાવે ખૂબ જ સાધારણ હોય છે પરંતુ તેનો પ્રભાવ અસાધારણ હોય છે. આ પત્થરને ગોમતી ચક્ર કહે છે. ગોમતીચક્ર ઓછી કિંમતવાળો એક એવો પત્થર હોય છે જે ગોમતી નદીમાં જ પ્રાપ્ત થાય છે. ગોમતી ચક્રને સાધારણ તંત્ર ઉપયોગ આ રીતે છે.


-પેટને લગતા રોગો થાય ત્યારે 10 ગોમતી ચક્ર રાતે પાણીમાં નાખી દો તથા સવારે તે પાણીને પી લો. તેનાથી પેટના લગતા જુદા-જુદા રોગો દૂર થઈ જાય છે.


-ધનલાભ માટે 11 ગોમતી ચક્ર પોતાના પૂજા સ્થાનમાં રાખો. તેની સામે શ્રી નમઃ નો જાપ કરો. તેનાથી તમે જે પણ કાર્ય કે વ્યવસાય કરો છો તેમાં વધારો થાય છે અને આવક પણ વધવા લાગે છે.


-ગોમતી ચક્રોને જો ચાંદી અથવા અન્ય કોઈ ધાતુની ડબ્બીમાં સિંદૂર તથા ચોખા નાખીને રાખો તો ઝડપથી શુફ ફળ પ્રાપ્ત થાય છે.


-હોળી, દિવાળી તથા નવરાત્રી વગેરે જેવા પ્રમુખ તહેવારો ઉપર ગોમતી ચક્રની વિશેષ પૂજા કરવામાં આવે છે, અન્ય વિભિન્ન મૂહૂર્તના અવસરે પણ તેની પૂજા લાભદાયી માનવામાં આવે છે. સર્વસિદ્ધિ યોગ તથા રવિપુષ્ય યોગ ઉપર તેની પૂજા કરવાથી ઘરમાં સુખ-શાંતિ બની રહે છે.
પંડિત પ્રભુલાલ પી. વોરિયા રાજપૂત જાડેજા કુલગુરુ :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
શ્રી સરસ્વતી જ્યોતિષ કાર્યાલય
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" શ્રી આલબાઈ નિવાસ ", મહા પ્રભુજી બેઠક પાસે,
એસ.ટી.બસ સ્ટેશન પાછળ, બેઠક રોંડ,
જામ ખંભાળિયા ૩૬૧૩૦૫ ગુજરાત  – ભારત   
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આપ આ નંબર ઉપર સંપર્ક / સંદેશ કરી શકો છો ... ધન્યવાદ ..
નોધ : આ મારો શોખ નથી આ મારી જીવિકા છે કૃપા કરી મફત સેવા માટે કષ્ટ ના દેશો ... 
જય દ્વારકાધીશ...

Saturday, January 14, 2012

શ્રીમદદેવીભાગવત અને શિવમહાપુરાણ ની કથા..!


सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश.

શ્રીમદદેવીભાગવત અને શિવમહાપુરાણ ની કથા..!  

શ્રીમદદેવીભાગવત અને શિવમહાપુરાણ ની કથા , શ્રીમદ ભાગવત ગીતા પ્રવચન. , દાનનાં વિવિધ સ્વરૂપ :

શ્રીમદદેવીભાગવત અને શિવમહાપુરાણ ની કથા :


એકવાર દેવલોકમાં મીઠો ઝઘડો જામ્યો. 

માતા લક્ષ્મીજી અને માતા બ્રમ્હાણીએ માતા પાર્વતીજીને ચઢાવ્યા કે 

તેઓ દેવોના દેવ મહાદેવના ધર્મ પત્ની હોવા છતાં 

તેમના માથે ઘરેણા કે આભૂષણ નામની કોઈ ચીજ નથી 

તો તેની સાથે અન્યાય થઈ રહ્યો છે, 








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ત્યારે માતા પાર્વતી તેમની વાતમાં આવી જઇને મહાદેવ પાસે ગયા અને મહાદેવને કહ્યું કે 

    "હે સ્વામી.....!!!

તમે દેવોના દેવ મહાદેવ અને જગતના પિતા હોય 

ત્યારે હું તમારી પત્ની મને આભૂષણના નામે એક પણ વસ્તુ કેમ નહીં 

તો હું તમારા થી નારાજ છું. 

મને જ્યાં સુધી આભૂષણ ઘરેણા નહીં કરાવી આપો 

ત્યાં સુધી 

હું તમારી સાથે વાત નહીં કરું."

  ત્યારે મહાદેવે જરાક હસીને માતા પાર્વતીને કહ્યું

     "હે દેવી....!!

આ લ્યો....!!

આ ચપટી ભભૂત લઈને તમે આપણા કુબેર પાસે કુબેરજી પાસે જાઓ અને તેમને કહેજો કે 

આ ચપટી ભભૂત ના બદલામાં જેટલા પણ ઘરેણા આભૂષણ આવે તે મને આપી દો."

  ત્યારે માતા પાર્વતી થોડા ગુસ્સે થઈને મહાદેવ ને કહ્યું

     "હે સ્વામી.....!!

તમારે મને આભૂષણ ન આપવા હોય તો કાંઈ નહીં પણ મને નીચા જોયા જેવું થાય તેવું મહેરબાની કરીને ના કરો."

  ત્યારે મહાદેવ થોડા સ્મિત સાથે માતા પાર્વતીને કહ્યું 

"હે દેવી.....!

તમે એકવાર જાવ તો ખરા."

  ત્યારે માતા પાર્વતી થોડા ગુસ્સા સાથે કુબેરજી પાસે આવ્યા અને કહ્યું

        "હે કુબેરજી....!




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મહાદેવ ની આજ્ઞા છે કે 

આ ચપટી ભભૂત ના બદલામાં જે કંઈ પણ આભૂષણો આવે 

તે મને આપી દો."

  પછી કુબેરજી એ ચપટી ભભૂત ને ત્રાજવાના એક પલડામાં મૂકી અને બીજા પલડામાં પોતાના ભંડારમાંથી એક પછી એક આભૂષણ મૂકવા લાગ્યા. 

કુબેરજી નો તમામ ભંડાર ખાલી થઈ ગયો પણ ત્રાજવા નું પલડું જરા સરખું પણ ના ડગ્યું. 

 ત્યારે માતા પાર્વતીના આંખમાંથી અશ્રુ વહેવા લાગ્યા અને તરત જ દોડતા મહાદેવ પાસે આવ્યા અને મહાદેવને કહ્યું

      "હે સ્વામી.. 

મને ક્ષમા કરો, 

મને નહોતી ખબર કે આ દુનિયામાં જીવસૃષ્ટિમાં કે દેવલોકમાં જે વસ્તુ તમારી પાસે છે એ કોઈની પાસે નથી."
 
 એટલે જ કહેવાયું છે કે..

"બખાન ક્યા કરું મૈ લાખો કે ઢેર કા,
ચપટી ભભૂતમેં હૈ ખજાના કુબેરકા".....

ઓમ નમો નારાયણ. 
જય ગુરુદેવ .
હર હર મહાદેવ હર.....!!!!

भगवद  गीता अध्याय: 18

श्लोक 30




श्लोक:
प्रवत्तिं च निवृत्तिं च कार्याकार्ये भयाभये।
 बन्धं मोक्षं च या वेति बुद्धिः सा पार्थ सात्त्विकी॥

भावार्थ:
हे पार्थ ! 

जो बुद्धि प्रवृत्तिमार्ग....

 (गृहस्थ में रहते हुए फल और आसक्ति को त्यागकर भगवदर्पण बुद्धि से केवल लोकशिक्षा के लिए राजा जनक की भाँति बरतने का नाम 'प्रवृत्तिमार्ग' है।)

और निवृत्ति मार्ग को ही है।

(देहाभिमान को त्यागकर ही केवल सच्चिदानंदघन परमात्मा में ही एकी भाव स्थित हुए है श्री शुकदेवजी और सनकादिकों की भाँति संसार से उपराम होकर विचरने का नाम 'निवृत्तिमार्ग' है।), 

कर्तव्य और अकर्तव्य को, भय और अभय को तथा बंधन और मोक्ष को यथार्थ जानती है ।

वह बुद्धि सात्त्विकी है ।

🕉️🕉️🕉️जय श्री कृष्ण🕉️🕉️🕉️

શ્રીમદ ભાગવત ગીતા પ્રવચન ,

ભગવદ ગીતા અધ્યાય:
શ્લોક 18



શ્લોક:
જ્ઞાન, જાણી શકાય તેવું, દેખીતું, ક્રિયા માટે ત્રિવિધ આવેગ.
 ક્રિયાઓનો સંગ્રહ ત્રણ પ્રકારનો છે, કરણ, કર્મ અને કર્તા.


અર્થ :

જ્ઞાતા ( જાણનારનું નામ 'જ્ઞાતા' ) 
જ્ઞાન ( જે જાણી શકાય તેનું નામ 'જ્ઞાન' છે ) 
અને જાણી શકાય તેવું ( જાણીતી વસ્તુનું નામ 'જાણવાલાયક' છે .) 

આ ત્રણ પ્રકારની ક્રિયા-પ્રેરણા કર્તા છે (ક્રિયા કરનારનું નામ 'કર્તા' છે), 

કરણ (જે માધ્યમથી કામ કરવામાં આવે છે તેનું નામ 'કરણ' છે.) 

અને ક્રિયાપદ (કરવાનું નામ 'ક્રિયાપદ' છે.) 

આ ત્રણ પ્રકારના કર્મ-સંગ્રહ છે

        ગીતા સાર  
       
જન્મ કે મૃત્યુ આપણી ઈચ્છા પ્રમાણે થતું નથી.

તેથી જન્મ અને મૃત્યુ વચ્ચેની વ્યવસ્થા
    આપણી ઈચ્છા પ્રમાણે આવું કઈ રીતે થઈ શકે? 

તમે જે લાયક છો તે તમને મળે છે 
જે નથી તે છીનવાઈ જશે!
                   
 તમારું કામ કામ કરતા રહેવાનું છે.


જો માણસ પોતાની અંદર જુએ
જો તમે તમારો દ્રષ્ટિકોણ બદલો તો બધું બહાર છે.
કંઈક સારું અને સુંદર દેખાશે.
આપણે જેવા છીએ તેવા છીએ
સર્વત્ર દૃશ્યમાન બને છે.
તે આંખો જેટલું સરળ છે
ચશ્મા પહેર્યા હોય તેવું લાગતું હશે
આવવા લાગશે. વિશ્વમાં ઘણા લોકો
માત્ર દુષ્ટતા, દોષો, ગંદકી 
અને માત્ર ખોટી વસ્તુઓ જ દેખાય છે.
આ બધી તેમની ખોટી ધર્માંધ માન્યતા છે
તે ખુદ ભગવાન દ્વારા થાય છે. 
જો તમે આગળ આવીને દેખાશો
તેઓ પ્રથમ દોષી છે
દેખાશે. વિશ્વમાં સારું, સજ્જન, 
ઘણા સારા લોકો છે અને સારા લોકો પણ છે.
પૃથ્વી પરના ઘણા લોકો ઈશ્વર વિશે વિચારે છે
તે કરતી વખતે જાણે તેઓ મહાન બની ગયા હોય.

તમારું જે પણ કાર્ય કે પ્રયાસ અન્ય લોકો માટે ફાયદાકારક નથી,

અથવા એવું કોઈ કામ કરો જેનાથી તમે સમાજમાં શરમ અનુભવો.

તે વસ્તુ ક્યારેય ન કરવી જોઈએ.

જીવનમાં
ક્યારેય કોઈ સમસ્યા નથી
સંઘર્ષ પણ કરી શકતો નથી.  
સમસ્યાઓથી દૂર ભાગવું અને તેનો સામનો ન કરવો
તે કરવું એ પોતે જ એક મોટી સમસ્યા છે.
એક દિવસ નાની મુશ્કેલીઓ
મોટા બનો.
સવારથી સાંજ સુધી કેટલાક લોકો 
સમસ્યાઓ વિશે રડતા રહો
અને ભગવાનને પણ શાપ આપે છે
જીવંત. જ્યાં સુધી સમજદાર છે
જો તમે તેને કાર્યમાં મુકો તો સમસ્યાનું સમાધાન 
ભગવાને તમને અમર્યાદિત આપ્યું છે તે થવા દો 
તે સુતી શક્તિઓને સત્તા આપી છે
જાગો સમસ્યાઓથી ભાગશો નહીં.
તેનો સામનો કરો.

આપણી ક્રિયાઓ આપણું ભાગ્ય લખે છે !
        
જીવનના દરેક પગલા પર, આપણા વિચારો, આપણા શબ્દો અને આપણા કાર્યો આપણું ભાગ્ય લખે છે. આ જીવનનું વ્યાકરણ છે! સારા મૂલ્યો કિંમતથી નહીં પરંતુ પર્યાવરણમાંથી મળે છે. સારો સ્વભાવ એ એવો ગુણ છે જે તમને દરેક વ્યક્તિ દ્વારા કાયમ માટે પ્રિય બનાવે છે! 
        
તમે કોઈનાથી ગમે તેટલા દૂર હોવ, તમારા સારા સ્વભાવને કારણે તમે હંમેશા કોઈને કોઈ સમયે તેમની યાદોમાં આવો છો, તમારા માટે સત્ય રાખો, બીજા માટે પ્રેમ અને બધા માટે દયા રાખો. ધર્મ કરશો તો ભગવાન પાસે માંગવો પડશે, પણ કામ કરશો તો ભગવાને આપવા પડશે.

તમને વિખેરવા માટે લાખ બહાના મળશે, ચાલો આપણે જોડવાની તક શોધીએ, એવું જરૂરી નથી કે દરેક વ્યક્તિ મને મળ્યા પછી ખુશ થાય, પણ મારી કોશિશ હશે કે મને મળ્યા પછી કોઈ દુઃખી ના થાય!
                          
માણસનો પોતાનો સ્વભાવ કમાયેલી સૌથી મોટી સંપત્તિ છે!
      

જરૂરી નથી કે દરેક વૃક્ષને ફળ આવે.
કોઈનો પડછાયો પણ ઘણો આરામ આપે છે
તમારા વિચારોને નિયંત્રણમાં રાખો
પછી તે તમારા શબ્દો બની જશે
તમારા શબ્દોને નિયંત્રણમાં રાખો
તેઓ તમારા કર્મ બની જશે
ક્રિયાઓને નિયંત્રિત કરશે
તેઓ તમારી આદત બની જશે
તમારી આદતોને નિયંત્રણમાં રાખો
તે તમારું પાત્ર બનશે
અને જો તમે તમારા પાત્રને નિયંત્રણમાં રાખો છો
તે તમારું ભાગ્ય બનશે
વડ અને પીપલ જેવા વિશાળ નથી
પરંતુ પોટ્સમાં વધતી નાની
તુલસી કોઈથી ઓછી નથી
તેથી જ પગ મંદિર તરફ લઈ જાય છે
અને ભગવાન સુધી આચરણ કરો
તેનો પ્રયાસ કરો, તે ખૂબ જ સરળ છે

અમે બધા પ્રવાસી છીએ અને ભગવાન અમારા ટ્રાવેલ એજન્ટ છે જેણે અમારા રૂટ, રિઝર્વેશન અને ડેસ્ટિનેશન પહેલેથી જ નક્કી કર્યા છે. હું તેના પર વિશ્વાસ કરું છું અને આનંદ કરું છું. 

જીવનમાં જ્યાં સુધી શ્વાસ છે ત્યાં સુધી દુ:ખ અને સંઘર્ષ રહેશે નહીંતર જ્યારે શ્વાસ પૂરો થશે ત્યારે સુખ કે દુઃખની અનુભૂતિ થશે નહીં.

નફરતને બાળી નાખો અને પ્રેમનો પ્રકાશ આવશે...
જ્યારે પણ માણસ બળે છે ત્યારે રાખ થઈ જાય છે...


દર્દી વ્યક્તિનો આત્મવિશ્વાસ
બોટમાં ચડ્યો અને મુશ્કેલીમાં મુકાઈ ગયો
દરેક નદીને સફળતાપૂર્વક પાર કરે છે
હું મારા છેલ્લા શ્વાસ સુધી પ્રયત્ન કરીશ 
શું ભગવાને કાં તો "ધ્યેય" કહેવું જોઈએ
પ્રાપ્ત થશે અથવા બંનેનો અનુભવ થશે 
ડૉક્ટરની નજીક રહેવું સારું છે 
ઘટતું નથી, કારણ કે દરેક સમસ્યા 
મને તેની પાસેથી શક્તિની દવા મળે છે! 
સુંદરતા અને સંપત્તિ જોઈને
વ્યક્તિના વ્યક્તિત્વનું અનુમાન લગાવવું
તે મૂકવું યોગ્ય નથી કારણ કે "વફાદાર
અને સારા માણસો હંમેશા સાદગીમાં જ જોવા મળે છે 

ॐ હું દેવતાઓના આધ્યાત્મિક ગુરુ અને બ્રહ્માંડના કારણ ભગવાન ઉમાને મારા પ્રણામ અર્પણ કરું છું.
હું પ્રાણીઓના સ્વામી એવા સર્પ-સુશોભિત હરણ-ધારકને મારા પ્રણામ કરું છું.

હું સૂર્ય, ચંદ્ર અને અગ્નિની આંખોની પૂજા કરું છું, હું મુકુંદના સૌથી પ્રિયની પૂજા કરું છું.
હું ભક્તોના આશ્રય અને વરદાન આપનાર ભગવાન શિવની પૂજા કરું છું.

બ્રહ્માંડના સર્જન અને વિનાશની પદ્ધતિમાં પ્રયાસ એ ક્ષણિક મૂંઝવણ છે.

તેઓ કહે છે કે તેની આંખો અને પાંપણો ફરે છે એ સર્વોપરી ભગવાનને પ્રણામ.

પરમ સર્વોપરી ભગવાન પશુપતિને નમસ્કાર, 
        
જેમની રમતિયાળ આંખના ઢાંકણા વિશ્વની રચના, જાળવણી અને વિનાશના અનમેષ ( ઉદઘાટન ), નિમેષ ( બંધ ) અને વિબ્રમ ( પરિભ્રમણ ) માટે જવાબદાર હોવાનું કહેવાય છે. પશુપતિનાથ મહાદેવની જય.
     

दान का विविध स्वरूप

दान महिमा -

दान का अनेक रूप है , प्रत्यक्ष दान जेसा है, जिशमे द्रव्य के विनियोग अर्थात अपने जात महेनत से कमाया हूवा धन का त्याग करना पड़ता है, अन्नदान, जलदान, वस्त्रदान, भूमिदान गृहदान सुवर्णदान, शय्यादान, तुलादान, पिंडदान, आरोग्यंदान, एवं   गौदान, होते है, ये दानो की एक महता है, इस में सब अलग अलग देव है, ये सब का मन्त्र भी है, जिश मे स्मरण सकल्प के समय पर करने की विधि है, कुच्छ ऐसा भी दान है, जिसमे ऐसा प्रकार का दानो की महता भी कोई न्यून्तं नही है,     
          




मधुर वचनों के दान

जो किसी व्यक्ति मुशीबत मे है इस व्यक्ति के पास शुभ सचा मिठास वाला वचनों बोलने से व्यक्ति के दुःख की मुश्केलिया दूर हो जाती है, कभी कभी कठोर वचन इस का दुखो में ज्यादा पीड़ा करती है ,


प्रेम दान 

वास्तविक प्रेम तो त्याग में समाँ हुवा है,  जब हम अन्य की तरफ प्रेम भावना व्यक्त करते है, तब अच्छा प्रभाव पडता है, इस के लिए त्याग के बाद सदा तत्पर रहेना पड़ता है, सर्व की तरफ प्रेम राखना ये भी एक प्रकार से परमात्मा का प्रभुकी तरफ का प्रेम सामान होता है,   
   
आश्वासन दान 

किसी संकट से दबा हुवा व्यक्ति के जीवन में आश्वाशन का बहु जयादा महत्त्व होता है, कभी कभी मनुष्य अपने जीवन में निराश हो कर जब आत्महत्या करने को तैयार हो जाता है, तब ऐशी परिस्थिति मे मनुष्य को जब सहायता का आश्वाशन देने या सद्प्रेणा देने से मनुष्य का जीवन बच सकता है, और मनोबल भी बहुत बठा सकता है,
    
आजीविका दान 

जीवनपायंन और परिवार पालन के लिए आजीविका की जरुरत होती है, ये स्वाभविक है जिश व्यक्ति के  लिए आजीविका के प्रबंध बना देते है, ये दान आजीविका दान है,
    
छाया दान 

छायादार और फलदार वुक्ष रोपण करने से वतेमर्गुऔ के लिए छायादान करी सकता है,

श्रमदान 

उशके संक्षमता के अनुशार मोका  देखते समय दूश्ररो के लिये श्रमदान करने से स्वयम से आनद की अनुभूति अनुभव होता है, ऐसा आनद जब मनुष्य आध्यात्मिक उन्नति की अनुभूति के धोतक होता है, किसी एक बुबर्झ या अशक्त ( विकलाग ) व्यक्ति पोतना सामान उचकी शकता नहीं है तो यह सामान उठाववो असमर्थ अशक्त ( विकलाग ) पडोशीका बजार से सामान खरीद कर ले आना, इस प्रकार का छोटा – बड़ा कार्यों है वाही श्रमदान के अंतगर्त में आ जाते है,     
   
शरीर के अंगों के दान 

ये शारीर व्याधि का मंदिर है, मनुष्य के शारीर में कभी रोगों से घेरा हवा है, कभी कभी असाध्य रोग से मृत्यु की शय्या में आजाते है, ऐसा समय जब रक्त की आवश्यकता होती है, चक्षुदान द्वारा किसी का जीवन बचा शकता है, हर व्यक्ति को रक्त दान आवश्य करना चाहिए, गुर्दा दान करना जरुरी होता है, कभी कभी किशी के लिए यकृत ( लीवर ) समाविष्ट भी करना पड़ता है, शारीर अंग के दान जिदा स्थिति में करना चाहिए,

समय दान 

नि स्वार्थ भावे किसी की सेवा कार्य में भी समय देना वाही भी समय का विनियोग करना इस का नाम समय दान 

क्षमादान 

किसी शक्तिशाली और सामर्थ्य सपन्न व्यक्ति का बड़ा अपराध होने से भी अपराधी को न दंड न सजा दिया बिना क्षमा कर देता है, तो ये क्षमादान है, ये किसी सहन शील और उत्तम चरित्र की व्यक्ति ये कार्य करी शकते है, क्षमा शील मनुष्य का महिमा गता शास्त्रों में कहा जाता है, क्षमा ये तो बहुत उत्तम धर्म है, क्षमा ज सत्य है, और क्षमा ज दान, यश और स्वर्ग की सीडी है,

सन्मान दान 

किसी भी व्यक्ति का सन्मान देने से उसका अंतर आत्मा प्रसन्न हो जाता है, इस लिए दुशरे का सन्मान करने का स्वभाव बना लिया जाये 


विधादान 

विधा ये मनुष्य का सर्वोत्तम दान है, विधा का दो प्रकार होता है, 
( १ ) पारलौकिकी ( २ ) लौकिकी, पार लौकिक विधा आध्यात्मविधा है  लौकिक विधा का महत्त्व बहुत न्यूतम नही है, अध्यापक से छात्रों के लिए दिया हूवा पुस्तकदान देना, छात्रवृति देना, आवास या अन्यान्य सामग्री देकर भी विधादान का शकाता है, 

पुण्यदान 

किशी भी उशके नजदीक के स्वजन व्यक्ति के मृत्यु के समये या मृत्यु के बाद इस की आत्मा को सद्वति मिले, शांति मिले, इसका आत्मा का उद्वार ( उन्नति ) होने पर दयावश, करुणावश उशके लिए पुण्य के दान किया जाता है, उशके जीवनकी पुण्य वाहक कर्म, व्रत , तीर्थसेवा, संतसेवा, अन्नदान आदि पुण्य फल पर सकल्प करना ये बड़ा पुण्यदान है,


जपदान 

जपदान ये पुण्यदान का दुश्ररा स्वरूप होता है, दुश्ररा का कल्याण और सुख शान्ति और आरोग्य के लिए करना पड़ता है वही जप को भी जपदान कहा जाता है, ये भी एक अप्रत्यक्ष दान है,

भक्तिदान 

भगवत भक्ति ( पूजा ) के मार्ग बताकर इस मार्ग पर आरुठ करना ये भी एक भक्तिदान है,  

आशीषदान 

साधू सन्यासी, संत, भक्तजन जब आशीष देते है, ऐसा दान को भी आशीषदान की प्रतीत देखा जाता है, 

यही सब प्रकार के दान मनुष्य जीवन मे कर्तव्य रूप आध्यात्मिक उन्नति के सघला साधन है
PANDIT PRABHULAL P. VORIYA RAJPUT JADEJA KULL GURU :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
SHREE SARSWATI JYOTISH KARYALAY
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Shri Albai Nivas ", Near Mahaprabhuji bethak,
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Jamkhambhaliya - 361305 Gujarat – India 
Cell Number +91- 9426633096 +91- 9427236337,  Skype : astrologer85
आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद.. 
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश..

राधे ........राधे ..... राधे .....राधे..... राधे .....राधे..... राधे .....राधे..... राधे .....राधे.....


દરેક જ્યોતિષ મિત્રો ને નિવેદન છે આપ મારા આપેલા લેખો ની કોપી ના કરે હું કોય ના લેખો ની કોપી કરતો નથી કે કોય કોયના લેખો ની કોપી કરી હોય તે વિદ્યા આગળ વધારવી ના હોય તો કોપી કરવાથી તમને ના આવડે આપ અપની મહેનતે ત્યાર થાવ તો આગળ અવાય ધન્યવાદ .......,
જય દ્વારકાધીશ

દાનનાં વિવિધ સ્વરૂપ





દાન મહિમા -
દાનનાં અનેક રૂપો છે. પ્રત્યક્ષ દાન એવાં છે જેમાં દ્રવ્યનો વિનિયોગ અર્થાત્ પોતે કમાયેલા ધનનો ત્યાગ કરવો પડે છે જેવાં કે અન્નદાન, જળદાન, વસ્ત્રદાન, ભૂમિદાન, ગૃહદાન, સ્વર્ણદાન, શય્યાદાન, તુલાદાન, પિણ્ડદાન, આરોગ્યદાન, ગૌદાન વગેરે આ દાનોની પોતાની એક મહત્તા છે. તેના સૌના અલગ અલગ દેવતા છે. અને એ સૌના મંત્ર પણ છે. જેના સ્મરણ સંકલ્પના સમયે કરવાની એક વિધિ છે. વળી કેટલાંક એવાં પણ દાન છે, જેના માટે આવા પ્રકારનાં દાનોની મહત્તા પણ કોઇ રીતે ન્યૂન નથી જ


મધુર વચનોનું દાન
જો કોઇ વ્યક્તિ મુસીબતમાં હોય તો તેવી વ્યક્તિને વચનો દ્વારા સાંત્વન આપી શકાય છે. ક્યારેક ક્યારેક કઠોર વચનોથી આંતરિક પીડા અનુભવાતી હોય છે. પરંતુ મધુર વચન તો
 

પ્રેમનું દાન
વાસ્તવિક પ્રેમ તો ત્યાગમાં સમાયેલો છે. જ્યારે આપણે અન્ય તરફ પ્રેમનો ભાવ ધરાવીએ છીએ, ત્યારે પ્રસંગ પડતાં તેને માટે ત્યાગ માટે પણ સદા તત્પર રહેવું પડે છે. સર્વ તરફ પ્રેમ રાખવો એ એક પ્રકારે પરમાત્માના પ્રભુ તરફના પ્રેમ સમાન છે.


આશ્વાસન દાન
કોઇ સંકટથી ઘેરાયેલ વ્યક્તિના જીવનમાં આશ્વાસનનું મહત્ત્વ વિશેષ છે. ક્યારેક ક્યારેક લોકો પોતાના જીવનથી નિરાશ થઇ આત્મહત્યા કરવાને તૈયાર થઇ જાય છે. આવી સ્થિતિમાં સહાયતાનું આશ્વાસન આપીને યા સદ્પ્રેરણા આપીને આપણે તેને બચાવી શકીએ છીએ. કોઇની પણ ઊલટી પરિસ્થિતિઓમાં પણ સહાયતાનું આશ્વાસન આપીએ તેનું મનોબળ વધારી શકીએ છીએ.

આજીવિકા દાન
જીવનયાપન અને પરિવારપાલનને માટે આજીવિકાની જરૂરિયાત હોવી એ સ્વાભાવિક છે જે વ્યક્તિ કોઇને માટે આજીવિકાનો પ્રબંધ ગોઠવી આપે છે, તેના દ્વારા અપાયેલ આ દાન આજીવિકા દાન છે.


છાયાદાન
છાયાદાર અને ફળદાર વૃક્ષ ઉછેરીને વટેમાર્ગુઓને છાયાદાન કરી શકાય છે.

શ્રમદાન
પોતાના સામર્થ્ય અનુસાર મોકા વખતે બીજાઓને માટે શ્રમદાન કરવાથી સ્વયંને આનંદની અનુભૂતિ અનુભવાય છે આવો આનંદ એ પણ આપણી આધ્યાત્મિક ઉન્નતિની અનુભૂતિનો દ્યોતક છે. કોઇ વયસ્ક યા અશક્ત વ્યક્તિ પોતાનો સામાન ઊંચકી શકતી ન હોય તો તેનો સામાન ઉઠાવવો. પોતાના અસમર્થ અશક્ત પડોશીનો બજારમાંથી સામાન ખરીદી લાવવો, આવા પ્રકારનાં કેટલાંયે નાનાં-મોટાં કાર્યો છે જે શ્રમદાનના અંતર્ગત આવી જાય છે.

શરીરનાં અંગોનું દાન
આ શરીર વ્યાધિનું મંદિર છે. માનવ શરીર ક્યારેક રોગોથી ઘેરાઇ જાય છે. અસાધ્ય રોગને કારણે મૃત્યુ શય્યા પર આવી જાય છે. એવા સમયે લોહીની જરૂરિયાત પડે છે. ચક્ષુદાન થકી કોઇનું પણ જીવન બચાવી શકાય છે. દરેક વ્યક્તિએ રક્તદાન અવશ્ય કરવું જોઇએ. કિડની દાનની પણ જરૂર પડે છે.ક્યારેક કોઇના માટે યકૃત (લીવર) પ્રત્યારોપણની પણ જરૂર પડે છે. આમ શરીરનાં અંગોનું દાન જીવિત અવસ્થામાં જ કરવું જોઇએ.


સમયદાન
નિઃસ્વાર્થ ભાવે કોઇ સેવાકાર્યમાં પોતાના સમયનો વિનિયોગ કરવો એટલે એનું નામ છે સમયદાન.


ક્ષમાદાન
કોઇ શક્તિશાળી અને સામર્થ્ય સંપન્ન વ્યક્તિ અપરાધ થવા છતાં પણ અપરાધીને દંડ ન આપતાં ક્ષમા કરી દે તો તે ક્ષમાદાન છે.આ કોઇ સહનશીલ અને ઉત્તમ ચરિત્રની વ્યક્તિ જ કરી શકે છે. ક્ષમાશીલ મનુષ્યનો મહિમા ગાતાં શાસ્ત્રોમાં કહેવાયું છે કે ક્ષમા એ જ ધર્મ છે. ક્ષમા જ સત્ય છે અને ક્ષમા જ દાન, યશ અને સ્વર્ગની સીડી છે.


સન્માન દાન
કોઇ પણ વ્યક્તિને સન્માન આપવાથી તેનો અંતરાત્મા પ્રસન્ન થઇ જાય છે. તેથી બીજાને સન્માન આપવાનો સ્વભાવ જ બનાવી લેવો જોઇએ.

વિદ્યાદાન
વિદ્યા એ જ મનુષ્યનું સર્વોત્તમ દાન છે. વિદ્યા બે પ્રકારની હોય છે. (૧) પારલૌકિકી અને (૨) લૌકિકી. પારલૌકિકી વિદ્યા અધ્યાત્મવિદ્યા છે. લૌકિકી વિદ્યાનું મહત્ત્વ પણ કોઇ રીતે ન્યૂન નથી. અધ્યાપક દ્વારા છાત્રોને પુસ્તકદાન આપીને, છાત્રવૃત્તિ આપીને, આવાસની યા અન્યાન્ય સામગ્રી આપીને પણ વિદ્યાદાન કરી શકાય છે.

પુણ્યદાન
કોઇની પણ પોતાની સ્વજન વ્યક્તિના મૃત્યુ સમયેથી મૃત્યુ પછી તેને સદ્ગતિ મળે, શાંતિ મળે, તેનો ઉદ્ધાર થાય, એ નિમિત્તે દયાવશ, કરુણાવશ પોતાના પુણ્યનું દાન કરી શકાય છે. પોતાના જીવનનાં પુણ્યવાહક કર્મ, વ્રત, તીર્થસેવા, સંતસેવા, અન્નદાન વગેરે પુણ્યફળને કોઇના નિમિત્તે સંકલ્પ કરવો એ પુણ્યદાન છે.

જપદાન
જપદાન એ પુણ્ય દાનનું બીજું સ્વરૂપ છે. બીજાના કલ્યાણ અને સુખ-શાંતિ અને આરોગ્યને માટે કરવામાં આવતા જપને જપદાન કહે છે. આ એક અપ્રત્યક્ષ દાન છે.


ભક્તિદાન
ભગવદ્ ભક્તિનો માર્ગ ચીંધી તે માર્ગ પર આરૂઢ કરવો એટલે એ થયું ભક્તિદાન.


આશિષદાન
સાધુ-સંન્યાસી, સંત ભક્તજનને આશિષ આપે છે. આવા દાનને આશિષદાનની સંજ્ઞા અપાઇ છે.

આમ આ સઘળા પ્રકારનાં દાન માનવ-જીવનના કર્તવ્યરૂપમાં આધ્યાત્મિક ઉન્નતિનાં સઘળાં સાધન છે. જય દ્વારકાધીશ ..જ્ય શ્રીકૃષ્ણા... હર હર મહાદેવ ....
પંડિત પ્રભુલાલ પી. વોરિયા રાજપૂત જાડેજા કુલગુરુ :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
શ્રી સરસ્વતી જ્યોતિષ કાર્યાલય
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" શ્રી આલબાઈ નિવાસ ", મહા પ્રભુજી બેઠક પાસે,
એસ.ટી.બસ સ્ટેશન પાછળ, બેઠક રોંડ,
જામ ખંભાળિયા ૩૬૧૩૦૫ ગુજરાત  ભારત   
મોબાઈલ નંબર : .+91- 9898980128 +91- 9427236337,  Skype : astrologer85
આપ આ નંબર ઉપર સંપર્ક / સંદેશ કરી શકો છો ... ધન્યવાદ ..
નોધ : આ મારો શોખ નથી આ મારી જોબ છે કૃપા કરી મફત સેવા માટે કષ્ટ ના દેશો ... જય દ્વારકાધીશ...