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Saturday, January 7, 2012

अंगद चरित्र / भक्त के वश में भगवान / सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए, क्योंकि...?

सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश.

।। श्री रामचरित्रमानस प्रवचन ।।

अंगद चरित्र / भक्त के वश में भगवान / सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए, क्योंकि...?  

ग्रन्थ - अंगद चरित्र

संदर्भ - साधना ( छलाँग ) सेतुबन्ध।

इस सेतुबन्ध के माध्यम से साधना के इन विविध पक्षों को प्रकट किया गया है। 


अधिकांश बन्दर तो पत्थरों के सेतु के द्वारा और जलचरों के पुल से समुद्र को पार करके अपने जीवन के चरम लक्ष्य को पाने में समर्थ हो जाते हैं। 

पर ऐसा नहीं कि छलाँग लगानेवाले पात्र न हों।

गोस्वामीजी कहते हैं कि कुछ बन्दर आकाश से भी छलाँग लगाकर जाने लगे -

सेतुबंध भइ भीर अति कपि नभ पंथ उड़ाहिं।

इसका सीधा तात्पर्य यह है कि साधना का क्रमिक विकास ही वह सेतु है और सीधा छलाँग लगाकर जाना " क्रम - विकास " न होकर, ईश्वर की कृपा के द्वारा ही संम्पन्न होता है। 

भगवान ने बन्दरों से पूछा - 

पिछली बार तो केवल हनुमानजी ही छलाँग लगाकर पार गये थे पर इस बार तो छलाँग लगानेवाले बन्दरों की संख्याँ काफी अधिक दिखाई दे रही है। 

यह अन्तर क्यों पड़ा ?

बन्दर बोले कि महाराज ! 

इसमें न तो हनुमानजी की विशेषता है, न हम लोगों की कमी है। 

बन्दर तो आकाश में उड़ता नहीं। 

उसे पक्षी की तरह उड़ने की शक्ति नहीं मिली है। 

बन्दर तो तभी उड़ेंगे, जब उसे पंख मिल जायेंगे।

जब आपने हनुमानजी का पक्ष ले लिया ; 

उनसे कहा कि सीताजी के पास जाओ तो उन्हें आपकी " कृपा का पक्ष " मिल गया और वे उड़कर पार हो गये।

आज आपकी कृपा का पक्ष हम लोगों को भी मिला है तो हम भी छलाँग लगा रहे हैं।

गोस्वामीजी लिखते हैं -
राम कृपा बल पाइ कपिंदा।
भये पच्छजुत मनहुँ गिरिंदा।।

रामकृपा का बल पाकर लगा, मानों पंख मिल गये हों।

ईश्वर जब पक्ष लेकर कृपापक्ष प्रदान करते हैं तो व्यक्ति में ऐसी क्षमता भी आ जाती है कि वह क्षणभर में ही चरम सत्य का साक्षात्कार कर अभिमान की सीमा को पार कर लेता है।

।।श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारी।।

🙏🙏🙏

*!!!!भक्त के वश में भगवान!!!!*



एक पंडित था, वो रोज घर घर जा के भगवत गीता का पाठ करता था |

एक दिन उसे एक चोर ने पकड़ लिया और उसे कहा तेरे पास जो कुछ भी है मुझे दे दो , तब वो पंडित जी बोला की बेटा मेरे पास कुछ भी नहीं है। 

तुम एक काम करना मैं यहीं पड़ोस के घर में जाके भगवत गीता का पाठ करता हूँ, वो यजमान बहुत दानी लोग हैं, जब मैं कथा सुना रहा होऊंगा तुम उनके घर में चोरी कर लेना! चोर मान गया।

अगले दिन जब पंडित जी कथा सुना रहे थे तब वो चोर भी वहां आ गया, 

तब पंडित जी बोले की यहाँ से मीलों दूर एक गाँव है 

वृन्दावन, वहां पे एक लड़का आता है जिसका नाम कान्हा है,वो हीरों- जवाहरातों से लदा रहता है।

अगर कोई लूटना चाहता है 

तो उसको लूटो, 

वह रोज रात को इस पीपल के पेड़ के नीचे आता है,

जिसके आस पास बहुत सी झाडिया हैं ।

चोर ने ये सुना और ख़ुशी ख़ुशी वहां से चला गया!

वह चोर अपने घर गया और अपनी पत्नी से बोला 

आज मैं एक कान्हा नाम के बच्चे को
लूटने जा रहा हूँ ।

मुझे रास्ते में खाने के लिए कुछ बांध कर दे दो ,पत्नी ने कुछ सत्तू उसको दे दिया और कहा की बस यही है जो कुछ भी है।

चोर वहां से ये संकल्प लेकर चला कि 

अब तो 

मैं उस 

कान्हा को लूट के ही आऊंगा।

वो पैदल ही टूटे चप्पल में वहां से चल पड़ा। 

रास्ते में बस कान्हा का नाम लेते हुए, वो अगले दिन शाम को वहां पहुंचा जो जगह उसे
पंडित जी ने बताई थी!

अब वहां पहुँच कर उसने सोचा कि अगर में यहीं सामने खड़ा हो गया तो बच्चा मुझे देख कर भाग जायेगा तो मेरा यहाँ आना बेकार हो जायेगा इस लिए उसने सोचा क्यूँ न पास वाली झाड़ियों में ही छुप जाऊँ।

वो जैसे ही झाड़ियों में घुसा, झाड़ियों के कांटे उसे चुभने लगे!

उस समय उसके मुंह से एक ही आवाज आयी…

*कान्हा - कान्हा* 

उसका शरीर लहूलुहान हो गया पर मुंह से सिर्फ यही निकला कि 

कान्हा आ जाओ! कान्हा आ जाओ!

अपने भक्त की ऐसी दशा देख के कान्हा जी चल पड़े, तभी रुक्मणी जी बोली कि प्रभु कहाँ जा रहे हो वो आपको लूट लेगा!

प्रभु बोले कि कोई बात नहीं अपने ऐसे भक्तों के लिए तो मैं लुट जाना तो क्या मिट जाना भी पसंद करूँगा 

और ठाकुर जी बच्चे का रूप बना के आधी रात को वहां आए ।

वो जैसे ही पेड़ के पास पहुंचे चोर एक दम से बहार आ गया और उन्हें पकड़ लिया और बोला कि 

ओ कान्हा तूने मुझे बहुत दुःखी किया है। 

अब ये चाकू देख रहा है न, अब चुपचाप अपने सारे गहने मुझे दे दे…

कान्हा जी ने हँसते हुए उसे सब कुछ दे दिया!

वो चोर खुशी ख़ुशी अगले दिन अपने गाँव में वापिस पहुंचा और सबसे पहले उसी जगह गया 

जहाँ वो पंडित जी कथा सुना रहे थे और जितने भी गहने वो चोरी करके लाया था उनका आधा उसने पंडित जी के चरणों में रख दिया!


पंडित ने पूछा कि ये क्या है? 

तो उसने कहा आपने ही मुझे उस कान्हा का पता दिया था,
मैं उसको लूट के आया हूँ और ये आपका हिस्सा है । 

पंडित ने सुना और उन्हें यकीन ही नहीं हुआ!

वो बोले कि मैं इतने सालों से पंडिताई कर रहा हूँ। 

वो मुझे आज तक नहीं मिला, 
तुझ जैसे पापी को कान्हा कहाँ से मिल सकता है!

चोर के बार बार कहने पर पंडित जी बोले कि चल मैं भी चलता हूँ 
तेरे साथ वहां पर, मुझे भी दिखा कि कान्हा कैसा दिखता है और वो दोनों चल दिए!

चोर ने पंडित जी को कहा कि आओ मेरे साथ यहाँ कांटों की झाड़ियों में छुप जाओ।दोनों का शरीर लहू लुहान हो गया और मुंह से बस एक ही आवाज निकली

*कान्हा - कान्हा* 

आ जाओ!

ठीक मध्य रात्रि कान्हा जी बच्चे के रूप में फिर वहीँ आये और दोनों झाड़ियों से बहार निकल आये!

पंडित जी कि आँखों में आंसू थे वो फूट फूट के रोने लग गये ।

जाकर चोर के चरणों में गिर गये और बोले कि हम जिसे आज तक देखने के लिए तरसते रहे तथा जो आज तक लोगों को लूटता आया है, तुमने उसे ही लूट लिया तुम धन्य हो।

आज तुम्हारी वजह से मुझे कान्हा के दर्शन हुए हैं, तुम धन्य हो……!!

ऐसा है हमारे कान्हा का प्यार, अपने सच्चे भक्तों के लिए ।

जो उन्हें सच्चे दिल से पुकारते हैं, तो वो भागे भागे चले आते हैं…..!!

*प्रेम से कहिये श्री कृष्णा ~ हे राधे ! जय जय श्री राधे कृष्णा —–*

*मेरो तो गिरधर-गोपाल, दूसरो न कोई !!!*

            🙏🙏🙏

सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए, क्योंकि...?
સુંદરકાંડનો પાઠ કરવો જોઈએ, પણ કેમ…?

अक्सर शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ करने का महत्व माना गया है। 

ज्यादा परेशानी हो, कोई काम नहीं बन रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या कई ज्योतिषी और संत भी लोगों को ऐसी स्थिति में सुंदरकांड का पाठ करने की राय देते हैं। 

आखिर रामचरितमानस के सारे छह कांड छोड़कर केवल सुंदरकांड का ही पाठ क्यों किया जाता है?



वास्तव में रामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। 

 संपूर्ण रामचरितमानस भगवान राम के गुणों और उनकी पुरुषार्थ से भरे हैं। 

सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो भक्त की विजय का कांड है। 

मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है। 

हनुमान जो कि जाति से वानर थे, वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए और वहां सीता की खोज की। 

लंका को जलाया और सीता का संदेश लेकर लौट आए। 

यह एक आम आदमी की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। 

इसमें जीवन में सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी हैं। 

इस लिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है।
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर:-
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नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏

हरे  कृष्णा....  हरे  कृष्णा....... हरे  कृष्णा......  कृष्णा   कृष्णा   कृष्णा................  हरे....  हरे.....  हरे ......


सभी ज्योतिष मित्रों को मेरा निवेदन हे आप मेरा दिया हुवा लेखो की कोपी ना करे में किसी के लेखो की कोपी नहीं करता,  किसी ने किसी का लेखो की कोपी किया हो तो वाही विद्या आगे बठाने की नही हे कोपी करने से आप को ज्ञ्नान नही मिल्त्ता भाई और आगे भी नही बढ़ता , आप आपके महेनत से तयार होने से बहुत आगे बठा जाता हे धन्यवाद ........
जय द्वारकाधीश.
सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए, क्योंकि...?
સુંદરકાંડનો પાઠ કરવો જોઈએ, પણ કેમ…?

હંમેશા શુભ પ્રસંગે ગોસ્વામી તુલસીદાસ દ્વારા લખવામાં આવેલા રામચરિતમાનસના સુંદરકાંડના પાઠ કરવાનું મહત્વ છે. 

વધારે મુશ્કેલી હોય, કોઇ કામ પાર ન પડતું હોય, આત્મવિશ્વાસની ઉણપ હોય કે અન્ય કોઇ સમસ્યા હોય ત્યારે જ્યોતિષીઓ અને સંતો સુંદરકાંડના પાઠ કરવાની સલાહ આપે છે. 

આખરે રામચરિતમાનસના અન્ય છ કાંડ છોડીને માત્ર સુંદરકાંડના પાઠ કરવાનું જ શા માટે કહેવામાં આવે છે ?

વાસ્તવમાં રામચરિતમાનસના સુંદરકાંડની કથા બધાથી અલગ છે. સંપૂર્ણ રામચરિતમાનસ ભગવાન રામના ગુણો અને તેમના પુરુષાર્થથી ભરેલું છે. 

એકમાત્ર સુંદરકાંડ એવો અધ્યાય છે જેમાં ભક્તનો વિજય થાય છે. 

મનોવૈજ્ઞાનિક દ્રષ્ટિથી જોવામાં આવે તો આ કાંડ આત્મવિશ્વાસ અને ઇચ્છાશક્તિને વધારે તેવો કાંડ છે.

હનુમાનજી, જેઓ જાતિએ વાનર હતા, તેઓ સમુદ્રને પાર કરીને લંકા પહોંચી ગયા અને ત્યાં સીતાની શોધ કરી. લંકાને સળગાવી અને સીતાનો સંદેશ લઇને પરત ફર્યા. 

આ એક સામાન્ય મનુષ્યની જીતનો કાંડ છે, 

જે પોતાની ઇચ્છાશક્તિના બળ ઉપર આટલો મોટો ચમત્કાર કરી શકતો હતો. 

આ કાંડમાં જીવનની સફળતાના મહત્વપૂર્ણ સૂત્રો પણ છે. 

 માટે સમગ્ર રામાયણમાં સુંદરકાંડને સહુથી શ્રેષ્ઠ માનવામાં આવે છે. 

આ કાંડ વ્યક્તિના આત્મવિશ્વાસમાં પણ વધારો કરે છે. 

આ સુંદરકાંડથી એક બીજો બોધ એ છે કે હનુમાન વાનર જાતિના હતા તેમ છતાં જો ભક્તિના બળથી તેઓ મહાન પૂજનીય દેવતા બની શકતા હોય તો પછી મનુષ્ય ચોક્કસપણે દેવતા બની શકે તેવો બોધ છુપાયેલો છે.  
પંડિત પ્રભુલાલ પી. વોરિયા રાજપૂત જાડેજા કુલગુરુ :-
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:- 
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :- 
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
શ્રી સતવારા વિધાર્થી ભુવન સામે
"" શ્રી આલબાઈ નિવાસ ""
શ્રી મહા પ્રભુજી બેઠક રોડ
જામ ખંભાળિયા 361305 ( ગુજરાત )
 – ભારત   
મોબાઈલ નંબર : .+91- 94272 36337 +91- 94266 33096, 
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નોધ : આ મારો શોખ નથી આ મારી જોબ છે કૃપા કરી મફત સેવા માટે કષ્ટ ના દેશો ... જય દ્વારકાધીશ...