श्री देवताओं की पूजन में सावधानी महत्व पूर्ण नियमों :
श्री देवताओं की पूजन में सावधानी महत्व पूर्ण नियमों :
ए सायनोनिम आफ इन थे वसंतम आनंद कंद अम्म अ पापा विंदम वाराणसी ना तम्मना दम चीफ सनातम शरणम प्रभु जी बगैर था...!
लुटेरे था प्रदीप तक यह जगह पितरौ वंदे पार्वती - परमेश्वर ओम हर हर महादेव जय मां अंबे आशा करता हूं...!
कि आप लोग कुशल मंगल से होंगे हमारे सनातन धर्म के अंतर्गत जॉब भी पूजा - पाठ करते हैं....!
तो उसमें कुछ सावधानी रखने की बातें होती है....!
जो महत्वपूर्ण लेते हैं उसी संदर्भ में हम विश्लेषण करने वाले हैं....!
जब आप इस विशाल ब्लॉग पोस्ट को पूरा देखेंगे तब सारी बातें समझ में आयेंगे और आप अपने दैनिक दिनचर्या के अंतर्गत पूजा पाठ जप करते हैं....!
उसको उपयोगी बनाने के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक जो जानकारी है....!
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उससे आप अपनाते हुए हैं ए लव लेंगे तो आज हम जो चर्चा करने जा रहे हैं....!
आप लोग इसको ध्यान से सुनने व देखने पूजन करते हैं....!
कोई भी धार्मिक यज्ञ अनुष्ठान करते हैं तो जोड़े के साथ करते हैं...!
अपनी पत्नी बैठते हैं पूजन में तो उसके बीच में कोई सामान नहीं देना चाहिए लेना चाहिए...!
पहले नंबर पर ध्यान देने की आवश्यकता है...!
दूसरे नंबर पर क्या होता है जब हम सही बैठते हैं...!
तो जब पूजा हो जाता तो आसन जिस आसन पर बैठते हैं....!
उस आसन के नीचे जल छोड़ कर शुक्राय नमः अवश्य बोलना पड़ता है...!
जब हम यह गर्म नहीं करेंगे तब हमारे द्वारा किया गया पूजा जिस देवता का पूजन करते हैं....!
वह उसका फल को प्राप्त नहीं होता है इस लिए तकरार नमः नमः करके बोलना पड़ता है...!
उसको अपने नेत्रों में में लगाकर को प्रणाम करना पड़ता है...!
अब दूसरी बात क्या है कि जब पूजन समाप्त हो जाता है...!
कि जब हम कोई भी पूजन करते हैं इस पूजन के अंतर्गत ध्यान देने की बात है...!
कि जब भी आप अपने घर में कोई यज्ञ अनुष्ठान करवाते हैं...!
तो जो आचार्य ब्राह्मण होते हैं अघ्र्य जइए इत्यादि अनुष्ठान चल रहे हैं....!
तो आप जो है राष्ट्रीय उद्यान का संकल्प लीजिए और ब्राह्मणों के द्वारा आचार्य के द्वारा वह आपको प्रदान किया है....!
कि आगे कि जो ध्यान देने वाली बातें हैं....!
कि जब आप कभी भी यज्ञ अनुष्ठान कोई भी पूजा - पाठ करते हैं....!
तो पूजा से उठने के खंभों कि डायरेक्ट आपको कि कुछ खाना नहीं चाहिए सर्वप्रथम जैसे आप देवी देवता को नमन करते हैं...!
तो जो आपसे बड़े लोग हैं जो ब्राह्मण देवता है....!
आपके परिवार में जो बड़े लोग हैं कि दोनों हाथों से प्रणाम की जिए...!
अबे कहां से किया गया प्रणाम वह स्वीकार नहीं किया जाता है...!
स्वीकार नहीं किया गया तो यह बात प्रणाम दोनों हाथों से करना चाहिए.....!
अब आगे की जानकारी पितरों की पूजा करते समय हमेशा तर्जनी अंगुली का ही प्रयोग करना चाहिए....!
गणेश जी कि सर्वप्रथम उनकी पूजा होती है....!
तो गणेश जी को तुलसी को और माता को दूर्वा है....!
कि यह ध्यान देना है कि किस देवता को क्या चीज चढ़ाना चाहिए....!
किस देवता को चाची नहीं चढ़ाना चाहिए....!
कि हमारे शास्त्रों में बहुत ही सुंदर तरीके से बतलाया गया है....!
कि गणेश जी को इस देवी को दूर्वा पितरों को अकेला शालिग्राम जी को चावल कभी भी किसी भी हालत में हम नहीं चढ़ा सकते हैं....!
अब भगवान शंकर जी को केतकी की जो खुश होता है...!
श्री विष्णु जी को धतूरा देवी को आंख तथा मदार सूर्य को यह चीज जो है....!
कि कभी भी अर्पित नहीं करना चाहिए...!
कि अब यदि आप कोई भी नई पूजा - पाठ या कोई भी पूजा पाठ का शुरुआत करते हैं....!
स्तोत्र का पाठ का मंत्र का तो इस के लिए...!
आप जो है आरंभ करने से पहले ही आपको संकल्प लेना चाहिए...!
क्योंकि संकल्पित कार्य सिद्ध हो जाता है....!
बिना संकल्प को लिए हुए कोई भी देगी कार्य कि हम लोग गांव कामना करते हैं....!
काम को करते थे उनको संकल्पित होना पड़ता है....!
संकल्प लेकर कि हम कार्य करते हैं...!
तो शिवसंकल्पमस्तु संकल्प जो है...!
वह लेते हैं कल्याण हो जाता है अब आधे पूजा - पाठ करते हैं....!
तो सब्सक्राइब टो है लेकिन हैं अब यहां पर एक बात और ध्यान देने की चीजें हैं....!
कि हमेशा इस बात का अवश्य ध्यान दें है....!
कि कभी भी दीपक से एक दीपक से दूसरे दीपक को प्रज्जवलित न करें....!
को क्यों क्योंकि यह शास्त्र में निश्चित बतलाया गया है....!
जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलाते हैं...!
वह हमेशा रूचि रखते हैं....!
तो यह ध्यान देने की बातें पूजन के बाद महिलाओं को कभी भी प्रणाम करना चाहिए....!
खुले बाल नहीं रखना चाहिए हैं....!
और अपने पति के कुछ देर आयु कामना के लिए हर स्त्री को की मांग में सिंदूर भंग करके ही पूजा करनी चाहिए....!
पूजा में बैठना चाहिए है अब कि यह चीजें जो है....!
अब जैसे तांबे का पात्र तांबे के पात्र में कभी भी दूध नहीं रखना चाहिए...!
कभी भी चंदन नहीं रखना चाहिए....!
यह नियुक्ति शीघ्र से आप जो है जल मैं ले करके तांबे के पात्र में है....!
कि भगवान को अर्घ्य दे सकते हैं....!
लेकिन डाल करके नहीं सकते हैं....!
ऐसा निर्णय लिया गया है....!
है तो कि अब पूजा - पाठ कभी भी बगैर आसन के नहीं करना चाहिए....!
आसन रखकर उसके ऊपर बैठकर तभी पूजा पाठ करना चाहिए....!
की कोशिश यही करना चाहिए की पूजा के लिए एक समय निश्चित कर लेना चाहिए....!
निश्चित समय में ही कार्य करना चाहिए तब पूजा का संपूर्ण लाभ प्राप्त होता है....!
और पूजा करते समय सर के ऊपर में रूमाल बांधे रख लेना चाहिए....!
क्योंकि खुले बाहर खुले सर पे आ है जो हर पूजा करते हैं...!
तो नकारात्मक ऊर्जा हावी रहती है इसी लिए उत्तर ढकने की परंपरा है....!
नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं रहता है....!
क्योंकि हम जो पूजा - पाठ करते हैं....!
नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए करते हैं....!
सकारात्मक ऊर्जा के प्राप्ति के लिए हम यह पूजा - पाठ करते हैं....!
अब इस के लिए गंगा जल तुलसी दल बिल्व पत्र और कमल के पुष्प को कभी बासी नहीं लग गया...!
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पूजा में दीपक प्रज्वलित करना चाहिए...!
क्योंकि प्रत्येक शब्द दीर्घकालिक की पूजा होती है...!
और यह हमारे कर्म यज्ञ नारायण तो इस लिए जो है...!
कि कोई भी पूजन करने से पहले दीपक प्रज्वलित अवश्य कर लेना चाहिए....!
तो प्रिय दर्शकों आशा करता हूं कि जो छोटी - छोटी जानकारी है...!
आप इस को अपने दैनिक दिन चर्या में अपनाते हुए पूजन आप करेंगे....!
तो अवश्य ही जो आपकी मनोकामना यह हैं.....!
शास्त्रोक्त विधि के द्वारा किया गया कार्य अवश्य फलीभूत होता है....!
इसी तरह से अधिक भी चर्चा को हमले करके उपस्थित होते रहते हैं....!
जो भी सह परिवार जो है पधारे हुए हैं और जो है यह ब्लॉग पोस्ट देख रहे हैं...!
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तो उसका समाधान भी आप लोगों का का यह ब्लॉग पोस्ट इसी तरह से बचाव को ले कर क्विक करता रहता है...!
तो आज के लिए इतना ही पुराण मिलेंगे तब तक के लिए हर हर महादेव हर जय मां अंबे...!
!!!!! शुभमस्तु !!!
🙏हर हर महादेव हर...!!
जय माँ अंबे ...!!!🙏🙏
पंडित राज्यगुरु प्रभुलाल पी. वोरिया क्षत्रिय राजपूत जड़ेजा कुल गुर: -
श्री सरस्वति ज्योतिष कार्यालय
PROFESSIONAL ASTROLOGER EXPERT IN:-
-: 1987 YEARS ASTROLOGY EXPERIENCE :-
(2 Gold Medalist in Astrology & Vastu Science)
" Opp. Shri Satvara vidhyarthi bhuvn,
" Shri Aalbai Niwas "
Shri Maha Prabhuji bethak Road,
JAM KHAMBHALIYA - 361305 (GUJRAT )
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आप इसी नंबर पर संपर्क/सन्देश करें...धन्यवाद..
नोट ये मेरा शोख नही हे मेरा जॉब हे कृप्या आप मुक्त सेवा के लिए कष्ट ना दे .....
जय द्वारकाधीश....
जय जय परशुरामजी...🙏🙏🙏